गाजियाबाद। जिले के पुलिस अफसरों ने खुद की कार्यप्रणाली को सवालों के कठघरे में ला दिया है। वजह है कि अधिकारियों ने फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज कर छात्र को जेल भेजने के आरोपी इंस्पेक्टर को महत्वपूर्ण थाने का चार्ज सौंप दिया है। अफसरों की यह चूक है या इंस्पेक्टर का रसूख, यह दीगर बात है लेकिन इस पोस्टिंग के बाद पूरे सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं।
गाजियाबाद में गुरुवार देर रात इंस्पेक्टरों की तबादला सूची जारी की गई। गैर जनपदों से ट्रांसफर होकर आए इंस्पेक्टर राजकुमार गिरि को थाना टीला मोड़, दिनेश कुमार सिंह को कोतवाली, जितेंद्र सिंह दीक्षित को इंदिरापुरम, अनिल कुमार राजपूत को लोनी, अनुराग शर्मा को विजयनगर, सुभाष चंद पांडेय को मोदीनगर और प्रभुदयाल को भोजपुर थाने का एसएचओ बनाया गया है। इंदिरापुरम, अंकुर विहार और टीला मोड़ थाने में अभी तक पोस्टेड रहे एसएचओ को विभिन्न शाखाओं का इंचार्ज नियुक्त किया गया है।
लोनी में तैनात किए विवादित एसएचओ
लिस्ट में एक विवादित इंस्पेक्टर का नाम भी शामिल है। विवादित नाम अनिल राजपूत का है। करीब 2 महीने पहले जनपद गौतमबुद्ध नगर में इंस्पेक्टर अनिल राजपूत समेत 16 पुलिसकर्मियों पर एक एफआईआर हुई थी। छात्र के मुताबिक, उसने पुलिस में शिकायत करके एक स्पा सेंटर पकड़वाया था, जहां जिस्मफरोशी का धंधा चलता था। अगली बार पुलिस और स्पा सेंटर संचालिका में गठजोड़ हो गया। छात्र का आरोप था कि स्पा सेंटर संचालिका की तरफ से रंगदारी का मुकदमा लिखकर पुलिस ने मुझे ही जेल भेज दिया। इससे पहले मेरे साथ मारपीट की। छात्र ने लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री को पूरा मामला बताया। जिसके बाद ये एफआईआर हुई थी। मीडिया में मामला हाईलाइट होते ही नोएडा पुलिस कमिश्नर ने इंस्पेक्टर अनिल राजपूत को गैर जनपद के लिए रिलीव कर दिया। जांच जारी होने के बावजूद अनिल राजपूत को लोनी थाने का चार्ज पा गए हैं।
मुकदमा एक्सपंज कराने की तैयारी
बताया जाता है कि इंस्पेक्टर अंदरखाने इस मुकदमे को एक्सपंज कराने की तैयारी में है। खाकी से लेकर खादी के गठजोड़ की प्रक्रिया भी चल रही है लेकिन मुकदमे का वादी इनके हाथ नहीं लग रहा। वह किसी भी सूरत में इन पुलिस वालों को न बख्शने की बात कह रहा है।