ड्रिलिंग का काम पूरा, सुरंग के अंदर मेडिकल की टीम पहुंची, कुछ ही घंटे में बाहर निकलेंगे मजदूर

उत्तराखंड। उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को लिए आज 16वें दिन अच्छी खबर सामने आई है। रेस्क्यू लगी रैट माइनर्स की टीम ने मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी कर ली है। ड्रिलिंग पूरी होने के बाद श्रमिकों तक पाइप पहुंचाया गया। इसके बाद मेडिकल टीम सुरंग के अंदर दाखिल हुई है।

सुरंग के अंदर ही 8 बेड के अस्थायी अस्पताल की व्यवस्था की गई है और डॉक्टरों व विशेषज्ञों की टीम तैनात की गई है। फंसे हुए मजदूरों को निकालने के बाद यहां स्वास्थ्य प्ररीक्षण दिया जा रहा है। सिल्क्यारा सुरंग से मजदूरों को निकालने के बाद रेस्क्यू करने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर चिनूक हेलीकॉप्टर अभी से मौजूद है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ में तैयारियां पूरी हो गई हैं। रेस्क्यू को लेकर एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, एनडीआरएफ का इसमें बहुत महत्वपूर्ण रोल है। 3 टीम सुरंग के अंदर जाएगी। एसडीआरएफ भी एनडीआरएफ को अंदर सहयोग देगी। साथ ही पैरामेडिक्स भी सुरंग के अंदर जाएंगे। अनुमान है कि 41 लोगों में से प्रत्येक को निकालने में 3-5 मिनट का समय लगेगा। पूरी निकासी में 3-4 घंटे लगने की उम्मीद है। सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिलिंग का काम होने के बाद पहुंची रेस्क्यू टीम का एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो देखकर सभी लोग जल्दी मजदूरों के बाहर निकालने की उम्मीद जाता रहे हैं।

सुरंग में सुरक्षित हैं सभी मजदूर
रेस्क्यू कर रही टीमों की माने तो सुरंग में 16 दिन से फंसे सभी मजदूर बिल्कुल सुरक्षित हैं। मैन्युअल ड्रिलिंग द्वारा डाले गए पाइप के माध्यम से कुछ स्वास्थ्य कर्मी और रेस्क्यू टीम सुरंग में अंदर पहुंची है। सुरंग के अंदर आठ बेड का अस्पताल भी बनाया गया है। जिससे किसी भी मजदूर की हालात बिगड़ने पर वहां उपचार किया जाएगा। रेस्क्यू करने वाली टीम का दावा है कि जल्द ही सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा।

एयरलिफ्ट की तैयारी हेलीकॉप्टर पहुंचा
16 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों में कुछ मजदूरों को देखते हुए हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट करने की भी तैयारी की गई है। यहां सुरंग स्थल के आसपास हेलीकॉप्टर पहुंच गया है। ताकि सुरंग से निकलने वाले किसी भी मजदूर की हालत ज्यादा गंभीर होने पर उसे एयरलिफ्ट किया जा सके। रेस्क्यू को लेकर केंद्र सरकार ने भी उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिए कि मजदूरों को बचाने में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहना चाहिए।

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