गाजियाबाद। शिव शक्ति धाम मंदिर डासना में कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर पूर्वघोशित कार्यक्रम के मुताबिक सोमवार को यज्ञ शुरू हो गया। यह यज्ञ लगातार 27 साल तक चलेगा। यज्ञ में मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए आहुति डाली जाएगी। मंदिर के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने बताया कि इस यज्ञ से सनातन धर्म और मानवता की रक्षा का लक्ष्य संभव है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर डॉक्टर भीष्म कपूर और आचार्य दीपक तेजस्वी ने सम्पूर्ण विधि विधान के साथ 27 वर्षीय मां बगलामुखी व कोटि चण्डी महायज्ञ का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि मां बगलामुखी और महादेव की शरण में आकर ही सनातन धर्म और सम्पूर्ण मानवता की रक्षा होगी। महामंडलेश्वर ने बताया कि सनातन धर्म की रक्षा, सनातन धर्म के मानने वालों के घर परिवार सहित उनके अस्तित्व की रक्षा, सनातन धर्म के शत्रुओं का विनाश और श्रद्धालु भक्तगणों की समस्त मनोकामना की पूर्ति हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया है। साथ ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महन्त स्वामी हरिगिरि जी महाराज, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रेम गिरी जी महाराज व अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी नारायण गिरी जी महाराज के मार्गदर्शन और स्वमं महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी के संकल्प से 27 वर्षीय मां बगलामुखी व कोटि चण्डी महायज्ञ आरम्भ हुआ है।
कल्पवृक्ष के समान है महायज्ञ
महायज्ञ के विषय में महामंडलेश्वर ने बताया कि भक्तों के लिए मां बगलामुखी व महादेव का यह महायज्ञ कल्प वृक्ष के समान है। जो उनकी सभी सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति करने में सक्षम है। सनातन धर्म में मां बगलामुखी को विजय और सद्बुद्धि की देवी माना जाता है। महादेव के साथ इनकी साधना से मनुष्य अपने हर तरह के शत्रुओं को पराजित करने योग्य बनता है। सद्बुद्धि, ऐश्वर्य, शक्ति और दीर्घायु सहित विजय को प्राप्त करता है। भगवान परशुराम इस पृथ्वी पर पहले साधक थे। जिन्होंने मां बगलामुखी और महादेव की साधना करके अलौकिक शक्तियां प्राप्त की।
इन्होंने लिया भाग
महायज्ञ में सहदेव भगत ,यति रणसिंहानन्द ,यति कृष्णानंद ,यति सत्यदेवानंद ,यति निर्भयानंद ,यति रामस्वरूपानंद ,यति सत्यानंद सहित अनेक संतो ने भाग लिया।