गाजियाबाद। केंद्रीय राज्यमंत्री व गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह इन दिनों प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गए हैं। वजह है कि न तो किसी विकास कार्य के शिलान्यास में उन्हें बुलाया जा रहा है और न ही किसी शिलापट पर उनका नाम लिखा जा रहा है। वजह चाहें जो भी हो लेकिन उन्होंने अपनी इस उपेक्षा की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की है। सीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच बैठाई है और डीएम से आख्या तलब की है।
गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह केंद्र में सड़क परिवहन राजमार्ग एवं नागर विमानन मंत्रालय के राज्यमंत्री भी हैं। वीके सिंह लगातार दूसरी बार गाजियाबाद से बीजेपी के सांसद हैं। उन्होंने 29 सितंबर को एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा। इसमें सांसद ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गाजियाबाद क्षेत्र में विकास कार्यों के शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रमों में जनपद के कई अधिकारियों द्वारा मुझे आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। साथ ही विकास कार्यों के शिलापट पर भी मेरा नाम अंकित नहीं किया जा रहा है। सांसद के नाराजगी जताने के बाद उप्र शासन के विशेष सचिव (अपर विधि परामर्शी) ने 16 नंवबर को गाजियाबाद क्ड को लेटर लिखा है और इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है। गाजियाबाद डीएम राकेश कुमार सिंह ने अब पूरे प्रकरण में 9 अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग लिया है।
इन अफसरों से मांगा स्पश्टीकरण
डीएम ने डूडा के परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत अधिकारी सहित लोनी, रजापुर और मुरादनगर बीडीओ व मुरादनगर, डासना, खोड़ा और लोनी नगर पालिका के ईओ शामिल हैं। डीएम ने इन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो शिष्टाचार में की गई अवमानना के संबंध में एक हफ्ते में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें।
पहले से चल रहा सियासी घमासान
बताया जाता है कि गाजियाबाद में पहले से सियासी घमासान चल रहा है। सांसद भी इस घमासान में शामिल किए गए हैं। क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने बयान जारी किया था कि सभी की आंतरिक रिपोर्ट उनके पास है। जबकि सदर विधायक के तेवर भी इस बयान के बाद तल्ख दिखे थे। कुल मिलाकर गाजियाबाद भाजपा में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है और इस मामले में अब संगठन स्तर से भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। यह दीगर बात है कि कार्रवाई किसके खिलाफ हो और किसके पक्ष में।
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