गाजियाबाद। हलाल प्रमाणित उत्पादों पर सरकार के प्रतिबंध को अब मुस्लिम समाज सही ठहराने लगा है। मुस्लिम महासभा का तो यहां तक कहना है कि इस उत्पाद के जरिये मुसलमानों को 49 साल तक ठगा गया है। वहीं मुस्लिम कारोबारी भी इसके समर्थन में हैं।
मुस्लिम कारोबारियों ने कहा है कि हलाल प्रमाणन के नाम पर समाज को बांटा जा रहा था। कंपनियों को हलाल या हराम से कोई मतलब नहीं है। वह सिर्फ मुस्लिमों की आस्था को भुना रही हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिबंध के निर्णय का समर्थन करते हैं।
ज्यादातर मुस्लिमों का कहना है कि उत्पाद हलाल है या नहीं, इसे सिद्ध नहीं किया जा सकता। यदि किसी उत्पाद पर हलाल लिखा तो मुस्लिम उसकी जांच कराकर यह पता नहीं लगा सकते हैं कि वह हलाल है या हराम। भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण इसका प्रमाणन जारी नहीं करता। मुस्लिमों का कहना है कि हलाल प्रमाणन केवल कथित विश्वास पर टिका हुआ, मुस्लिमों को ठगने का कारोबार भर है। इससे मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। यह कार्रवाई पहले से की जानी चाहिए थी। मुस्लिम कारोबारी भी प्रतिबंध के समर्थन में आ गए हैं। कारोबारी हाजी जमालुद्दीन ने बताया कि कई कंपनियों ने प्रतिदिन प्रयोग होने वाले उत्पादों पर भी हलाल प्रमाणन लिख दिया है।
हमें नहीं था पता: अब्दुल वाहिद
दाल और चावल के पैकेट पर भी हलाल लिख दिया गया है। यह बिल्कुल गलत है। इस पर उत्तर प्रदेश के साथ ही पूरे देश में प्रतिबंध लगना चाहिए, ताकि मुस्लिमों को ठगी से बचाया जा सके। महाराजपुर जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल वाहिद ने बताया कि किसी भी उत्पाद पर हलाल लिख देना गलत है। हमें तो पता ही नहीं था कि कंपनियां चावल व आटे तक पर हलाल प्रमाणन लिख रही हैं।
पूरे देश में हो प्रतिबंध
मुस्लिम महासभा के प्रदेश प्रभारी हाजी नाजिम खान का कहना है कि हलाल प्रमाणन उत्पादों पर प्रतिबंध पूरे देश में लगना चाहिए। हलाल अरबी शब्द है। इसका अर्थ है वैध। हलाल के दायरे में मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ आते हैं। हराम भी अरबी शब्द है और इसका अर्थ है अवैध। शराब, बिना आयत पढ़े मृत पशु, रक्त और इसके उत्पाद, सूअर का मांस और झटके का मांस हराम है।
Discussion about this post