उत्तराखंड। उत्तरकाशी-यमनोत्री मार्ग पर स्थित सिल्क्यारा टनल में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। रेस्क्यू कर रहे जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों को रेस्क्यू करने के अभी 2 दिन का वक्त और लग सकता है। दरअसल 12 नवंबर को सुबह 4 बजे निर्माण के दौरान टनल धंस गया। जिसमें 40 मजदूर फंस गए, जो कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, असम,हिमाचल के रहने वाले हैं।
रेस्क्यू को लेकर एसपी अपर्णा यदुवंशी ने बताया अब तक 60 मीटर तक मालवे में से करीब 20 मीटर से ज्यादा मालवा हटा दिया गया है। टनल में फंसे मजदूरों को ऑक्सीजन, भोजन व पानी पाइप के माध्यम से पहुंचा जा रहा है। रेस्क्यू के दौरान मालवा हटाते वक्त ऊपर से मिट्टी और पत्थर गिर रहे हैं। जिससे दिक्कत हो रही है। एसपी नहीं अभी बताया कि रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोग लगे हुए हैं। चार धाम यात्रा को आसन बनाने के लिए इस टनल को करीब 853.79 करोड रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है। टनल बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम हो जाएगी। एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडर कर्मवीर सिंह ने बताया टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं किया गया था जिसकी वजह से हादसा हुआ है।
पीएम ने सीएम पुष्कर धामी से की बात
टनल में फंसे मजदूरों के बारे में जानकारी लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की है। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के रेस्क्यू में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। भारत सरकार द्वारा केंद्र एजेंसियों को राहत और बचाव कार्यों में सहयोग करने के भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्देश दिए गए हैं।
मजदूरों से संपर्क हुआ सभी सुरक्षितः सीएम
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा सभी विशेषज्ञ एजेंसियां श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने का काम कर रही हैं। इस समय हमारी प्राथमिकता है कि सभी 40 श्रमिकों को बाहर निकाला जाए। हम उनके परिजनों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। अच्छी बात ये है कि उनसे(श्रमिकों से) संपर्क स्थापित हो गया है। मुख्यमंत्री ने बताया यह सुरंग निर्माणाधीन थी जो लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी होनी थी, जिसमें से मात्र 400 मीटर ही तोड़े जाने के लिए बाकी था। अचानक बीच में मलबा गिरने की वजह से 40 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए हैं। बचाव का काम तेजी से हो रहा है।