ग्रेटर नोएडा। पुलिस ने तीन ठगों को पकड़ा है। इनके पास से करोड़ों की नकली करेंसी बरामद हुई है। असली नोट भी मिले हैं। यह गैंग असली नोटों के बीच नकली लगाकर उन्हें मार्केट में चला देता था। इस गैंग के खिलाफ धोखाधड़ी व मुद्रा अधिनियम समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा लिखा गया है।
दनकौर थाना पुलिस द्वारा पकड़े गए युवकों के पास से दो लाख 34 हजार 500 रुपये के असली व 8 करोड़ 32 लाख रुपए के नकली 500-500 के नोट बरामद किए हैं। एडिशनल डीसीपी अशोक कुमार ने बताया कि दनकौर पुलिस टीम ने रविवार रात्रि में सलारपुर अंडरपास के नजदीक से तीन लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से एक बैग बरामद किया। जब इन लोगों की तलाशी ली गई तो इनके बैग से 01 बंडल में कुल दस 500 के नोट की गड्डी थी। उस बंडल में ऊपर व नीचे 500 की कुल 02 असली नोट लगी थी। बाकी गड्डी में लगे नोट कागज के बनावटी नोट थे। इसके अलावा एक लैपटाप भी बरामद हुआ। पुलिस ने बताया की पकड़े गए आरोपी करेंसी दिल्ली से लखनऊ लेकर जा रहे थे। इन लोगों से गहनता से पूछताछ की गई तो इन लोगों की निशानदेही पर पास में झाडियो के पीछे रखे 8 लोहे के बक्शे बरामद हुए। जिनमें सभी बक्शो में 500 रूपये के नोटों के कुल 165 बंडल (1650 गड्डिया बैग में मिली गड्डियां जैसी) मिले। इन सभी नोटों के बंडलों पर भी कुछ पर ऊपर नीचे व कुछ पर केवल एक तरफ असली 500 रूपये के नोट लगे हुये थे।
नोट गिनने की मशीनें भी मिलीं
इसके अलावा एक नोट गिनने की इलेक्ट्रोनिक मशीन व एक नोटो के बन्डल बनाने की इलेक्ट्रोनिक मशीन भी बरामद हुई । इन लोगों के कब्जे से कुल मिलाकर 234500 रुपये असली बरामद हुए जबकि 8 करोड़ 30 लाख रुपए नकली बरामद हुए जो कि उनके द्वारा 500-500 के बनाए गए थे। यह लोग प्रिंट करके नोट तैयार करते थे।
ऐसे करते हैं ठगी
पुलिस पूछताछ में तीनों ने बताया कि हम लोगों का एक गिरोह है, जिसको लखनऊ का रहने वाला प्रवेश कुमार उर्फ डीके चलता है। गैंग छोटी-छोटी कंपनियों और एनजीओ को अपने झांसे में फंसाता है। कंपनियों को एनजीओ में फंडिंग कराने का आश्वासन दिया जाता है। इसके बाद कंपनी और एनजीओ दोनों से ठगी की जाती है। कंपनी या एनजीओ की सहमति होने के बाद विशाल, मोबिन खान, उपेंद्र और अन्य लोगों को बतौर मैनेजर बना दोनों जगह भेजा जाता था। इसके बाद यही फेक करेंसी दिखाकर, साजिश को अंजाम दिया जाता था। बरामद हुए इन्हीं रुपए को दिखाकर डील की जाती है। कहा जाता है कि यह पूरा पैसा हम लोग फंडिंग करेंगे, लेकिन इसके लिए आपको हमें पहले 10ः पैसे देने होंगे। इसके बाद यह लोग शर्त रखते हैं कि यदि आप कागजी कार्रवाई एक घंटे में पूरी नहीं करते हैं, तो हम आपको आपके 10ः पैसे वापस नहीं करेंगे। इस प्रकार तय हुई फंडिंग की रकम के 10ः की रकम की ठगी कर ली जाती है।
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