गाजियाबाद। प्रदूशण की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। खासकर लोनी में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को यहां का एक्यूआई 365 पहुंच गया। इससे सांस समेत फेफड़ा संबंधी बीमारियों से ग्रसित मरीजों व गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।
एक सप्ताह से वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में 200 के पार बना है। हवा की गति धीमी होने से 227 एक्यूआई में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई। ग्रेडेड रिस्पॉंस एक्शन प्लान लागू होने के बावजूद नियम धूल और धुएं में उड़ रहे हैं। शर्ते और पाबंदियां सिर्फ कागजों में दिख रही हैं। जनपद में एक अक्तूबर को ग्रैप लागू हुआ था। उसके कुछ दिनों बाद ही शहर क एक्यूआई 200 के पार पहुंच गया था। 20 दिन बीतने के बाद भी वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। एक्यूआई लगातार 200 के पार है। प्रदूषण रोकने में जिम्मेदार विभागों के अधिकारी नियम पालन कराने में नाकाम हो रहे हैं।
ये भी है मुख्य वजह
अफसरों की अनदेखी के चलते हालात इतने खराब हो चुके हैं कि एलिवेटेड रोड के नीचे जगह-जगह कूड़ा जलाकर प्रदूषण फैलाया जाता है। वहीं अन्य स्थानों पर भी नियमित सफाई न होने के कारण लोग कचरा जलाकर उसका निस्तारण करने में लग जाते हैं। दीपावली के चलते घरों में सफाई होना लाजिमी है। ऐसे में कचरे की तादात भी बढ़ गई है। वहीं अधिकारी प्रदूषणकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने के बजाय आंखें बंद करके बैठे हैं।
न वाहनों पर रोक न हो रहा छिड़काव
हवा की गुणवत्ता खराब करने में सबसे ज्यादा रोल उन वाहनों का रहता है जिनके पंजीकरण की अवधि निकल चुकी है। ऐसे वाहनों को सीज करने के लिए कोई अभियान यहां नहीं चलाया जा रहा है। धूल उड़ने से रोकने के लिए नियमित छिड़काव की व्यवस्था भी भंग है। वहीं औद्योगिक इकाइयों से काला धुआं निकालकर प्रदूषण फैलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। शहर का एक्यूआई 227 पहुंच गया। इसमें पीएम 2.5 मानक से तीन गुना ज्यादा रहा। वहीं, इंदिरापुरम में एक्यूआई 169, संजय नगर में पहले के मुकाबले 60 अंक बढ़कर 224 और वसुंधरा में 147 रिकॉर्ड हुअ। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक विकास मिश्रा का कहना है कि प्रदूषण फैलाने वालों को लगातार चिन्हित कर कार्रवाई हो रही है।
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