जयपुर। अदालतों में भ्रष्टाचार को लेकर दिए गए बयान पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने खेद जताया है। सीएम ने हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में माफी मांगी है। कोर्ट में पेश किए गए अपने जवाब में सीएम गहलोत ने कहा कि उनकी ओर से जो कुछ भी कहा गया था, वो उनके विचार नहीं थे।
गहलोत ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका में कभी भी किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं देखा है। लेकिन उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई न्यायाधीशों ने कथित भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा, ‘मैं केवल इसी तरह की चिंता व्यक्त कर रहा था लेकिन समाचार रिपोर्ट में मेरे बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और इसका गलत मतलब निकाला गया।’ सीएम ने कोर्ट से उनकी माफी स्वीकार करने और जनहित याचिका खारिज करने का अनुरोध किया है। राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले पर सात नवंबर को सुनवाई करेगा
दरअसल वकील शिव चरण गुप्ता ने 31 अगस्त को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि गहलोत की टिप्पणी ‘जानबूझकर बदनाम करने और न्यायपालिका की छवि को कम करने’ जैसी है। इसकी सुनवाई दो सितंबर को हाईकोर्ट डिवीजन बेंच ने की थी, जिसने गहलोत से जवाब मांगा था।
गहलोत के वकील प्रतीक कासलीवाल ने सीएम का जवाब का हवाला देते हुए कहा, ‘वह (सीएम) कानून और न्यायपालिका का अत्यधिक सम्मान करते हैं। यदि हाईकोर्ट को लगता है कि बयान से उन्होंने किसी भी तरह से जनता के मन में न्यायपालिका के सम्मान या प्रतिष्ठा को कम करने का प्रयास किया है, तो वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। 1976 में जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेने वाले गहलोत पहले कानूनी पेशे से करीबी से जुड़े रहे हैं।’
भयंकर भ्रष्टाचार बताया था
सीएम गहलोत ने 30 अगस्त को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा था- “ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है। मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं। वही जजमेंट आता है। ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? लोअर हो या अपर ज्यूडिशियरी, सभी जगह हालात गंभीर हैं। देशवासियों को ये सोचना चाहिए।” गहलोत ने कहा था कि भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर जो आरोप लगाए, वो सही हैं। मुझे मालूम पड़ा है कि उनके वक्त बहुत बड़ा करप्शन हुआ था। जिसे दबा दिया गया। इन लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। सीएम के इस बयान के बाद न्यायिक क्षेत्र में विरोध के सुर मुखर हो गए थे। वकीलों ने हड़ताल और धरने प्रदर्शन कर दिए थे।
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