न पुलिस ढूंढ पाई, न परिवार, आधार कार्ड से 7 सालों बाद मां से मिले बिछड़े भाई-बहन

पश्चिमी चंपारण। बिहार के पश्चिमी चंपारण से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है। आधार कार्ड ने सात साल बाद घर से बिछड़े दो बच्‍चों को मां बाप तक पहुंचाया है। सात साल से गायब भाई बहन को लाख कोशिशों के बावजूद शिकारपुर पुलिस नहीं खोज पाई, न ही उसके परिजन ही ढूंढ़ पाए लेकिन अंगूठे के निशान ने उसके परिजनों को खोज निकाला और बच्चों का ठिकाना भी मिल गया।

नरकटियागंज से दोनों भाई बहन कौशकी और उसका भाई राजीव कुमार उर्फ़ इन्दरसेन लापता हो गए थे। उस वक्त उसकी मां सुनीता देवी ने शिकारपुर थाने में आवेदन दिया, जिसपर एक माह बाद केस दर्ज हुआ। केस में सुनीता ने एक महिला पर गायब कर देने का संदेह जताया था। उस समय पुलिस भी इस केस को हल करने को लेकर काफी परेशान रही लेकिन लाख कोशिश के बावजूद बच्चों को नहीं ढूढ़ पाई। यह मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा। केस के तत्‍कालीन अनुसंधानक पर गाज भी गिरी लेकिन कोई भी भाई-बहन को नहीं ढूंढ पाया। उस समय बच्‍ची की उम्र करीब 12 वर्ष और बच्‍चे की उम्र तकरीबन 9 वर्ष थी। परिजनों ने एनजीओ से लेकर अपने स्‍तर से गोरखपुर से लेकर दिल्‍ली कोलकाता तक छाना मारा पर कही पता नहीं चल सका।

इधर लखनऊ के बाल सुधार गृह में रह रहे बच्‍चों में से एक अंजलि को जब नौवीं कक्षा में नाम लिखाने के लिए आधार कार्ड की आवश्‍यकता हुई तो ऐसे में संस्‍थान ने आधार कार्ड बनवाने के लिए जब बच्‍ची अंजलि के अंगूठे का निशाना लिया तो उनकी पहचान उजागर हुई। तब पता चला कि अंजलि का आधार पहले से बना है और उसका नाम कौशकी है और वह नरकटियागंज की रहने वाली है।

बताया जाता है कि इसके बाद बाल सुधार गृह लखनऊ में रह रहे दोनों भाई- बहन का अता पता चल गया। इसके बाद संस्‍थान ने शिकारपुर पुलिस से संपर्क किया, जब शिकारपुर पुलिस वहां पहुंची तो सिर्फ कौशकी जो अब वहां अंजलि बन चुकी थी उसे लेकर नरकटियागंज पहुंची और बेतिया कोर्ट ले गई लेकिन भाई राजीव को नहीं ला सकी क्‍योंकि छठी में पढ़ रहे राजीव की परीक्षा चल रही थी। घर पहुंचकर परिजनों से मिल अंजलि जहां खुश है तो वहीं परिजन भी फुले नहीं समा रहे हैं।

लेकिन इस खुशी के बीच मां सुनीता ने मीडिया के माध्‍यम से यह अपील की है कि उसके बेटे को बयान के लिए यहां न लाया जाए। उसका बयान ऑनलाइन ही कोर्ट में कराया जाए। दलील यह है कि वहां जहां पढ़ाई कर रहा है, वहां अच्‍छी शिक्षा मिल रही है। यहां आने से पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। उन्‍होंने अंजलि को भी जल्‍द से जल्‍द लखनऊ भेज देने की अपील की है। अंजलि का कहना है कि वह बड़ी होकर अधिकारी बनना चाहती है।

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