नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्मी हॉस्पिटल में संक्रमित खून चढ़ाने के चलते एचआईवी का शिकार हुए वायुसेना के पूर्व अधिकारी को डेढ़ करोड़ का मुआवजा देने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जो जवान देश के लिए जान बलिदान करने को तैयार रहते हैं उनको उत्तम गुणवत्ता की सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने वायु सेना (नियोक्ता) से छह सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि का भुगतान करने के किया कहा है। पीठ ने कहा है कि वायु सेना, थल सेना से मुआवजे की आधी राशि मांगने के लिए स्वतंत्र है। पीठ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। एनसीडीआरसी ने प्रतिवादी की ओर से हुई चिकित्सा लापरवाही के कारण अपीलकर्ता के मुआवजे के दावे को नकार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जवान के प्रति देखभाल में लापरवाही के चलते उन्हें कोर्ट आना पड़ गया। इस मेडिकल लापरवाही के लिए 1 करोड़ 54 लाख, 73 हजार क् मुआवजा दिया जाए। यह राशि भारतीय वायुसेना देगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जवान की विकलांगता पेंशन से जुड़ी जो भी राशि बाकी है उसे डेढ़ महीने के अंदर दे दिया जाए।
दरअसल जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान बीमार पड़ने का बाद जवान को 171 मिलिट्री हॉस्पिटल सांबा में जुलाई 2002 में ऐडमिट करवाया गया था। इसके बाद उन्हें एक यूनिट खून चढ़ा गया। 2014 में जब वह बीमार पड़े तो अपना टेस्ट करवाया। तब पता चला कि उन्हें एचआईवी है। शीर्ष अदालत ने माना कि अस्पताल ने कोई लापरवाहीकी है। वहीं कोर्ट ने एचआईवी पीड़ितों के मामलों को प्राथमिकता देने के भी निर्देश दिए हैं।
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