ओटावा। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की ओर से बिना सबूत भारत पर लगाए गए आरोप पर वह बलूचियों के निशाने पर आ गए हैं। बलोच मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलोच की रहस्यमय मौत पर पाकिस्तान के खिलाफ खामोशी अख्तियार किए रहने पर पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार की आलोचना की है। बलोच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक बार फिर चिट्ठी लिखकर करीमा बलोच की मौत पर सवाल पूछे हैं।
कनाडा में बलूच मानवाधिकार परिषद (बीएचआरसी) ने पीएम जस्टिन ट्रूडो पर मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की हत्या को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। बलोच ह्यूमन राइट्स काउंसिल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कनाडा सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ बहुत तेजी दिखाई लेकिन करीमा बलोच की संदिग्ध मौत के मामले में पाकिस्तान के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। जस्टिन ट्रूडो को चिट्ठी बलोच ह्यूमन राइट्स काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. जफर जावेद ने लिखी है। उन्होंने लिखा कि करीमा बलोच की हाई प्रोफाइल संदिग्ध मौत का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है।
कनाडा सरकार के न्याय पर उठाए सवाल
डॉ. जावेद ने पत्र लिखकर कहा कि कनाडा की संसद में निज्जर की हत्या मामले में ट्रूडो के बयान और करीमा बलोच के मामले में उनकी चुप्पी विरोधाभासी हैं। डॉ. जफर जावेद ने ट्रूडो के नाम चिट्ठी में लिखा है कि दोनों मामलों में विरोधाभास से कनाडा की सरकार की तरफ से न्याय देने पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने लिखा है कि ऐसा तब हो रहा है, जबकि पाकिस्तान की सेना बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में दोषी है।
कौन थीं करीमा बलूच
करीमा बलोच पाकिस्तान की सरकार और सेना को खुली चेतावनी देने वाली महिला कार्यकर्ता थीं। वह बलूचिस्तान आंदोलन का बड़ा चेहरा थीं और उन्होंने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने का बीड़ा उठा लिया था। हालांकि पाकिस्तानी सेना की नजर में वह खटकने लगीं और इसके बाद उनको परेशान करना शुरू कर दिया गया। करीमा बलोच के कई रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। वह पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की जमकर पोल खोलती थीं। सेना और आईएसआई से तंग आकर वह कनाडा चली गईं। हालांकि उन्होंने सेना के अत्याचार पर अपनी आवाज नहीं बंद की।
करीमा बलोच कनाडा में रहकर भी अपना आंदोलन चलाती रहीं। उन्हें पाकिस्तान और कनाडा से धमकियां मिलती रहती थीं। 20 दिसंबर 2020 को वह लापता हो गईं। इसके बाद उनका शव टोरंटो की ओंटारियोन नदीं के के किनारे पाया या। परिवार वालों ने कहा कि पाकिस्तान ने ही उनकी हत्या करवाई है। हालांकि कनाडा में किसी नेता का कोई बयान नहीं आया। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताकर केस बंद कर दिया। उसके बाद से इस मामले में खामोशी जारी है।
उनके पति का कहना था कि करीमा आत्महत्या नहीं कर सकती हैं। परिवारों वालों को पाकिस्तान की सेना पर शक है। पति हैदर की मानें तो इससे इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया क्योंकि उनके घर पर दो से अधिक बार छापा मारा गया था।
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