प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक चले प्रेम-प्रसंग के दौरान बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही किसी भी कारणवाश शादी से इनकार किया गया हो।
यह मामला उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले का है। जहां एक महिला थाने में एक लड़की ने अपने प्रेमी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। उसने आरोप लगाए थे कि 2008 में बहन की शादी के दौरान गोरखपुर में वे दोनों मिले थे। इसके बाद लड़का लड़की के परिवार की सहमति से उसके घर आने जाने लगा। दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने लेकिन बाद में लड़के ने शादी से इनकार कर दिया।
लड़के के वकील ने क्या कहा?
यह मामला जब कोर्ट के सामने आया तो लड़के के वकीन ने कहा कि जिस वक्त दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने उस वक्त लड़की बालिग थी और यह दोनों की सहमति से हुआ। लड़की ने अपनी मर्जी से संबंध बने और इसलिए शादी से इनकार करने पर मुकदमा दर्ज कराया जाना गलत है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने और पुलिस की चार्जशीट को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप भले ही सही हैं, लेकिन आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध सिद्ध नहीं होता है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच संबंध सहमति से बने थे। पक्षों के बीच बाद के घटनाक्रम के कारण ही याची ने पीड़िता से शादी करने से इनकार कर दिया था। दोनों पक्षों के बीच संबंध लंबे समय से थे और पीड़िता के साथ- साथ उसके परिवार के सदस्यों को भी रिश्ते के परिणाम के बारे में पता था। अतः इस तरह के रिश्ते का उल्लंघन दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है।