लखीमपुर। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले की तफ्तीश कर रही एसआईटी (विशेष जांच दल) को सोमवार को भंग कर दिया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एसआईटी ने जांच पूरी कर ली है और निचली अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया है। लिहाजा अब इसकी कोई जरूरत नहीं है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एसआईटी को भंग करने का आदेश देते हुए कहा कि अगर एसआईटी को फिर से गठित करने की जरूरत महसूस होगी तो इस संबंध में उचित आदेश पारित कर दिया जाएगा। तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एसबी शिरोडकर, दीपेंद्र सिंह और पदमजा चौहान इस एसआईटी का हिस्सा थे।
क्या था मामला
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के दौरे के विरोध में लखीमपुर खीरी के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान एक एसयूवी ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचल दिया था। जिसमें चार किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुस्साए लोगों ने एसयूवी के ड्राइवर और भाजपा के दो कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी। घटना को लेकर विपक्ष और किसान संगठनों ने जमकर हंगामा किया था। मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 जुलाई को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे 26 सितंबर तक बढ़ा दिया था।
इस मामले में आशीष मिश्रा समेत कुल 13 आरोपी हैं। आशीष मिश्रा के अलावा अन्य आरोपियों में अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राना, शिशुपाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राना और धर्मेंद्र बंजारा का नाम शामिल है।
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