डेविस कप में रविवार को मोरक्को के खिलाफ 4-1 से शानदार जीत दर्ज करने के बाद भारत के स्टार टेनिस प्लेयर रोहन बोपन्ना ने अपने करियर विजय के साथ अंत किया। अपने फेयरवेल मुकाबले में 43 वर्षीय रोहन बोपन्ना ने युकी भांबरी के साथ मिलकर इलियट बेनचेट्रिट-यूनुस लालामी लारौसी की मोरक्को की जोड़ी को 6-2, 6-1 से हराया।
डेविस कप में अपना 33वां और अंतिम मुकाबला खेल रहे 43 वर्षीय बोपन्ना और भांबरी ने मोरक्को के इलियट बेनचेट्रिट और यूनुस लालामी लारौसी को एक घंटे 11 मिनट तक चले मैच में 6-2, 6-1 से पराजित किया।नागल ने पहले उलट एकल में यासीन दलीमी को 6-3, 6-3 से हराकर विश्व ग्रुप दो के इस मुकाबले में भारत की जीत सुनिश्चित की। यह केवल दूसरा अवसर है जबकि नागल ने डेविस कप के किसी मुकाबले में अपने दोनों एकल मैच जीते। इससे पहले उन्होंने 2019 में कजाखस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए मुकाबले में यह कारनामा किया था।
नागल ने दोनों सेट में शुरू में ब्रेक प्वाइंट हासिल किये और फिर दलीमी को वापसी का मौका नहीं दिया। पिछले साल फेनेस्टा नेशनल्स में उपविजेता रहे दिग्विजय प्रताप सिंह ने डेविस कप में अपने पदार्पण मैच में वालिद अहौदा को 6-1, 5-7, 10-6 से हराकर दूसरा उलट एकल मैच जीता। इस 25 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी को हालांकि शीर्ष स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आगे कड़ी मेहनत करनी होगी। मोरक्को डेविस कप के इस मुकाबले में केवल एक मैच जीत पाया। यह मैच भी उसने शशीकुमार मुकुंद के पांव में ऐठन के कारण हटने की वजह से जीता। बोपन्ना काफी भावुक थे और उन्होंने कोर्ट पर ही भारतीय टीम की अपनी शर्ट उतार दी जिससे उनके डेविस कप करियर का भी अंत हो गया। उन्होंने अपने करियर में 33 मैच खेले जिनमें से 23 मैचों में जीत दर्ज की। इनमें 13 युगल मैच भी शामिल हैं। इस मैच को देखने के लिए बोपन्ना के लगभग 50 परिजन और मित्र भी आए थे। उन्होंने अपने प्रशंसकों का आभार व्यक्त किया।
बोपन्ना के परिजनों और दोस्तों ने जो टीशर्ट पहन रखी थी उस पर इस खिलाड़ी की तिरंगा लहराते हुए तस्वीर प्रिंट की गई थी। बोपन्ना से पूछा गया कि जबकि वह पेशेवर टूर में खेल रहे हैं तब उन्होंने डेविस कप से संन्यास लेने का फैसला क्यों किया, उन्होंने पीटीआई से कहा, ”सबसे पहली बात तो यह है कि मेरी जगह कोई अन्य भारतीय लेगा जबकि पेशेवर टूर में ऐसा नहीं होगा।” उन्होंने कहा, ”वर्षों से बीच में एक सप्ताह के अवकाश से अंतर पैदा होता रहा है। इसलिए अगर मैं डेविस कप में नहीं खेलता हूं तो मुझे दो सप्ताह का अवकाश मिल जाएगा और इससे बड़ा अंतर पैदा हो सकता है।” बोपन्ना ने कहा,” एक और बड़ा कारण हमारी बेटी है जो चार साल की है। मैं कुछ समय उसके साथ घर में भी बिताना चाहता हूं। यह शानदार यात्रा रही और हर चीज का अंत जरूर होता है।”
यूनुस पूरे मैच में एक बार भी अपनी सर्विस नहीं बचा पाए जबकि भारतीय टीम को केवल एक बार ब्रेक प्वाइंट का सामना करना पड़ा जब भांबरी सर्विस कर रहे थे। भारतीय टीम ने यह ब्रेक प्वाइंट भी बचा दिया था। भारतीय टीम ने यूनुस की सर्विस तोड़कर शुरुआती बढ़त हासिल की। जब स्कोर 30 -15 था तब भांबरी के बैंक हैंड रिटर्न पर यूनुस ने नेट पर गेंद खेल दी। इसके बाद भांबरी ने वॉली विनर लगाकर पहला ब्रेक प्वाइंट हासिल किया। बेनचेट्रिट ने भांबरी के रिटर्न पर शॉट लगाया लेकिन वह बाहर चला गया जिससे भारत ने 3-1 से बढ़त हासिल की। बोपन्ना ने अगले गेम में अपनी सर्विस बचाकर स्कोर 4-1 कर दिया। भारतीय जोड़ी ने इसके बाद फिर से यूनुस को निशाना बनाया और उनकी सर्विस आसानी से तोड़ दी। भारत ने पहला सेट 34 मिनट में जीता। बोपन्ना ने दूसरे सेट में भी अपनी सर्विस का शानदार नमूना पेश किया लेकिन तीसरे गेम में भांबरी की सर्विस पर मोरक्को की टीम ने एक ब्रेक प्वाइंट हासिल किया। भारतीय टीम हालांकि इसे बचाने में सफल रही। यूनुस ने चौथे गेम में अपनी सर्विस पर स्कोर 40-0 कर दिया था लेकिन इसके बाद उनका अपनी सर्विस पर नियंत्रण नहीं रहा। उन्होंने डबल फाल्ट के अलावा बेजा गलतियां भी की और अपनी सर्विस गंवा दी। भारत ने भांबरी की सर्विस पर यह सेट और मैच जीता।
मैच से पहले बोपन्ना ने कही थी भावुक बात
अपने करियर का आखिरी मुकाबले खेल रहे रोहन बोपन्ना ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने युकी भांबरी के साथ मिलकर मोरक्को की जोड़ी को आसानी से मात दी। बोपन्ना के शक्तिशाली फोरहैंड का विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के पास कोई जवाब नहीं था। रोहन बोपन्ना ने इस यागदार मैच से पहले मीडिया से कहा था, “अगर मैंने कभी ऐसा सोचा होता (विश्व ग्रुप 2 में नहीं खेल रहा होता) तो मैं यहां कभी नहीं होता। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला हर मैच फिर वह चाहे किसी भी स्तर का हो गर्व का क्षण होता है।”
Discussion about this post