दिल्ली। गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना नदी में मूर्ति विसर्जित करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (डीपीसीसी) ने इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। डीपीसीसी ने साफ किया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के 2019 और 2021 में जारी आदेश के अनुसार, गंगा और सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का पर्यावरण क्षति शुल्क लगाया जाएगा।
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडबल्यूए) और आम लोगों के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि मूर्ति विसर्जन टब या बाल्टी में ही करें। इसके साथ ही पूजन सामग्री जैसे फूल, सजावटी सामान विसर्जन से पहले मूर्ति से हटा लें। पूजा में पीओपी से बनी मूर्ति का विसर्जन झीलों, तालाबों और नदियों में न करें। इसके साथ ही मूर्तिकारों के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि मूर्ति बनाने के लिए प्राकृतिक मिट्टी और सजाने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें। यही नहीं पीओपी की मूर्तियां तलाबों, नदियों और जोहड़ों, झीलों में विसर्जित नहीं की जा सकती।
डीपीसीसी ने विभागों के लिए भी अलग से गाइडलाइन जारी किए हैं। इसमें दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली पुलिस वाहनों की जांच करे की कोई भी मूर्ति का विसर्जन करने यमुना तक न आए। वहीं, सिविक एजेंसियां मूर्ति विसर्जन के लिए अस्थायी तालाबों का इंतजाम करें।
क्यों है यमुना में मूर्ति विसर्जन पर रोक?
मूर्ति विसर्जन की वजह से यमुना के पानी में कई तरह के केमिकल्स जैसे मरकरी, जिंक ऑक्साइड, क्रोमियम, लीड, केडमियम आदि घुल जाते हैं। यह पानी में रहने वाले जीवों के लिए काफी नुकसानदेह है। इस तरह के पानी की मछलियां जब लोग खाते हैं, तो उनमें कई तरह की बीमारी का खतरा होता है।
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