बेंगलुरु। दक्षिण भारत के सूबे कर्नाटक के ईदगाह मैदान में इस साल धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनेगी। वहां इस दौरान बप्पा की भव्य प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी और पूजा-पाठ होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हुबली-धारवाड़ नगर निगम (एचडीएमसी) के कमिश्नर ईश्वर उल्लागड्डी ने आयोजक रानी चनम्मा मैदान गजानन उत्सव मंडली को इस बाबत मंजूरी दे दी। साथ ही अंजुमन-ए-इस्लाम ने कर्नाटक हाईकोर्ट में ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसे आज खारिज कर दिया गया।
नगर निगम ने रानी चेन्नम्मा मैदान गजानंद उत्सव महामंडली को प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दे दी है। वहीं, अंजुमन-ए-इस्लाम ने कर्नाटक हाईकोर्ट में ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसे शुक्रवार को खारिज कर दिया गया था। ऐसे में अब ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने के सभी रास्ते साफ हो गए हैं। नगर निगम आयुक्त ईश्वर ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार अनुमति दी गई है।
गौरतलब है, पिछले साल भगवान गणेश की मूर्ति को ईदगाह मैदान में स्थापित करने को लेकर काफी विवाद हुआ था। मामला इतना बढ़ गया था कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी अनुष्ठान की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद ही यहां पर गणेश चतुर्थी मनाई गई थी। हालांकि, इस साल भी अंजुमन-ए-इस्लाम की ओर से ईदगाह मैदान में गणपति उत्सव समारोह नहीं मनाने के लिए याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। लेकिन अदालत ने इसे शुक्रवार को खारिज कर दिया।
विवाद की वजह क्या है?
ईदगाह मैदान पर गणेश मूर्ति का मामला पिछले साल भी विवादों में आया था। इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि ईदगाह मैदान नगर निगम की संपत्ति है और वो जिसे चाहे, उसे जमीन अलॉट कर सकती है। दरअसल 1921 में ये मैदान अंजुमान-ए-इस्लाम को 999 साल की लीज पर मिला। आजादी के बाद यहां कई दुकानें खुल गईं। इसे अदालत में चुनौती दी गई। 2010 में सुप्रीम कोर्ट का इसे लेकर फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि साल में सिर्फ दो बार यहां पूजा की अनुमति दी जा सकती है लेकिन इस शर्त पर कि यहां कोई स्थायी ढांचा नहीं बनाया जाएगा।
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