लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर में शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला की हत्या के दोषी आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के सदस्य आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को दोषी ठहराया था। दोनों को 5 -5 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है।
एनआईए के विशेष जज ने हत्याकांड में आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को धारा 302, 120B, धारा 16, 18 UAPA तथा धारा 3, 25, 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाया था। जिसके बाद गुरुवार शाम को दोनों आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई। फांसी के साथ ही दोनों आतंकियों को पांच-पांच लाख रुपये का जो जुर्माना लगा है, उसकी रकम एनआईए की विशेष अदालत ने रिटायर्ड शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला के परिवार वालों को देने के आदेश दिए हैं। इससे पहले उन्हें 11 सितंबर को सजा सुनाई जानी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते यह टल गया।
कोर्ट का फैसला आते ही नवाबगंज, विष्णुपुरी में रहने वाला दिवंगत प्रधानाचार्य रमेशबाबू शुक्ला के परिवार के हर सदस्य की आंखों से आंसू बह निकले। प्रधानाचार्य की पत्नी मीना देवी ने कहा वो मनहूस दिन आज भी नहीं भूल पातीं, जब आतंकियों ने उनके बेगुनाह पति की जान ले ली थी। बोलीं, हमें ईश्वर और न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा था। रमेशबाबू के चार बच्चे हैं। बड़े बेटे सौरभ शुक्ला प्राइवेट नौकरी करते हैं। छोटे बेटे अक्षय शुक्ला प्राइमरी स्कूल में सरकारी शिक्षक हैं। बहन पूजा की शादी हो चुकी है और छोटी बहन आरती अभी पढ़ाई कर रही है। कोर्ट के फैसले पर पूरे परिवार ने रमेशबाबू शुक्ला की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
क्या था पूरा मामला?
कानपुर के चकेरी थानाक्षेत्र के विष्णुपुरी कालोनी में रहने वाले रमेश बाबू 24 अक्टूबर 2016 को कॉलेज से पढ़ा कर घर लौट रहे थे। तभी किसी ने उन्हें गोली मार दी। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। तब पुलिस ने अज्ञात हमलावरों पर FIR दर्ज कर के जाँच शुरू की। हालाँकि घटना के 7 माह बीत जाने पर भी हमलावरों का कुछ अता-पता नहीं चल पाया।
इस बीच 7 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश ATS की लखनऊ में उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट के साजिशकर्ता सैफुल्लाह से मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में सैफुल्लाह मारा गया। सैफुल्लाह जिस घर में रुका था वहां भारी मात्रा में हथियार,गोला बारूद के साथ ही आपत्तिजनक समान मिला था। जिसके बाद मामले में NIA को जांच के लिए जोड़ा गया। NIA की जांच में पता चला कि जो हथियार सैफुल्लाह के पास से बरामद हुए थे, उनका प्रयोग कानपुर के शिक्षक की हत्या समेत अन्य अपराध में भी हुआ है।
इसके बाद कानपुर के चकेरी के रहने वाले फैसल को गिरफ्तार किया गया। उस दौरान फैसल ने बताया कि आतिफ मुजफ्फर और सैफ़ुल्लाह उसके मोहल्ले के ही रहने वाले है। फैसल ने इस साज़िश का खुलासा करते हुए बताया कि वो सभी लोग ISIS की तंजीम से बहुत प्रभावित थे और सभी ने जाजमऊ टीले पर दीन और इस्लाम के लिए कुछ करने और जेहाद करने की क़सम ली थी। इन कट्टरपंथियों ने ख़लीफ़ा की क़सम भी ली थी कि ये सभी ख़लीफ़ा के हुक्म की तामील करेंगे और ख़लीफ़ा की हुक्मउदुली नहीं करेंगे। ये सारे कट्टरपंथी इस बात पर विश्वास करते थे। ख़लीफ़ा की दिखाई राह पर चलकर उन्हें जन्नत मिलेगी और जन्नत में उनके स्वागत के लिए हूरे मौजूद रहेंगी।
उसने पूछताछ में खुलासा किया कि हम काफी कोशिश की लेकिन ये देश से बाहर नहीं जा पा रहे थे। इसीलिए देश के अंदर ही रहकर आतंकी हमले करने प्रैक्टिस शुरू कर दी। 24 अक्टूबर 2016 को सैफुल्लाह, आतिफ और फैसल ने कानपुर के प्योंदी गांव के पास साइकिल से घर वापस लौट रहे शिक्षक रमेश बाबू शुक्ल को देखा। इन्होंने उनके हाथ में कलावा देखा और हिंदू पहचान सुनिश्चित होने पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में आतिफ को भोपाल से गिरफ्तार किया गया।
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