आजम खान की करीबी एकता कौशिक के घर दूसरे दिन भी चली आयकर विभाग की छानबीन

गाजियाबाद। सपा नेता आजम खां की करीबी एकता कौशिक के राजनगर सेक्टर – नौ स्थित कोठी में दूसरे दिन भी आयकर विभाग का छापा जारी रहा। इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी आयकर विभाग के अधिकारियों को मिले हैं, जिनको जांच के लिए कब्जे में लिया गया है। अब इन दस्तावेजों की पड़ताल के बाद आयकर विभाग की टीम आगे की कार्रवाई करेगी।

जीडीए के पूर्व अवर अभियंता परितोष शर्मा की पुत्रवधू एकता कौशिक के आवास पर बुधवार सुबह करीब सात बजे आयकर विभाग की टीम पहुंची थी और छानबीन शुरू की थी। बृहस्पतिवार को दूसरे दिन भी टीम मौजूद रही। हालांकि बाहर चहलकदमी नहीं दिखाई दी। घर के मुख्य दरवाजे को अंदर से बंद कर छानबीन की गई। इस दौरान परिवार के किसी भी सदस्य को बाहर आने-जाने की अनुमति नहीं थी। दोपहर के वक्त टीम ने बाहर से खाना मंगाया। एक व्यक्ति खाना लेकर घर के अंदर दाखिल हुआ था। दोपहर करीब पौने तीन बजे कोठी के अंदर से आयकर विभाग की टीम में शामिल दो व्यक्ति दस्तावेज लेकर बाहर आते दिखाई दिखे। हालांकि उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी।

अखिलेश-आजम से अच्छे संबंध
राजनगर सेक्टर- नौ में एकता कौशिक परिवार के साथ रहती हैं। सपा के कद्दावर नेता आजम खां से उनके व उनके परिवार के अच्छे संबंध हैं। एकता ने आजम के बेटे अदीब के साथ पढ़ाई की है। तभी से दोनों दोस्त हैं। इसके बाद एकता की फैमिली की आजम की फैमिली से और नजदीकियां हो गईं।

आजम खान, पत्नी और बेटे जब जेल में रहे, तब जौहर अली ट्रस्ट का सारा कामकाज एकता ने संभाला। आजम जब दिल्ली में हॉस्पिटल में भर्ती रहे, तब भी एकता कौशिक ने उनकी देखरेख की। इतना ही नहीं, मुकदमों की पैरवी में भी सहयोग किया। गाजियाबाद में जब एकता कौशिक के चाचा की मृत्यु हुई, तब आजम खान उनके घर आए थे। आजम के सहारे ही एकता की अखिलेश यादव सहित अन्य बड़े नेताओं से जान-पहचान हुई।

यूनिवर्सिटी की साढ़े 12 एकड़ छोड़, बाकी जमीन अवैध?
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के संस्थापक स्वयं आजम खान हैं। इस ट्रस्ट का पंजीकरण साल 1995 में हुआ। साल 2005 में रामपुर जिले में ट्रस्ट के द्वारा मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की नींव रखी गई। उस वक्त उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। ये यूनिवर्सिटी 1500 बीघा जमीन पर है।

2017 में उप्र में योगी सरकार आते ही इस ट्रस्ट के बुरे दिन शुरू हो गए। योगी सरकार ने जांच बैठा दी। जांच में पता चला कि यूनिवर्सिटी को केवल साढ़े 12 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी गई थी, लेकिन ट्रस्ट ने 173 एकड़ जमीन हथिया ली। ऐसे में अधिग्रहण अवैध माना गया। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।

Exit mobile version