जालना। मराठा आरक्षण को लेकर पिछले 17 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने आंदोलन खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मनोज जरांगे से मिलने के लिए गुरुवार को जालना पहुंचे। सीएम शिंदे ने खुद जरांगे को जूस पिलाकर उनकी भूख हड़ताल तुड़वाई।
सीएम शिंदे ने कहा कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन कई लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे जारांगे से मिलने के लिए दौरा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह प्रोटोकॉल के खिलाफ है। इसके बावजूद, मैंने आने का फैसला किया क्योंकि जारांगे अपने लिए नहीं बल्कि अपने समुदाय के लिए लड़ रहे हैं। मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि सब कुछ वादे के मुताबिक किया जाएगा और राज्य सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. उनकी अधिकतर मांगें पूरी हो चुकी हैं, शेष को कुछ समय लगेगा क्योंकि उन्हें कानूनी रूप से पूर्ण प्रमाण की आवश्यकता है।”
गौरतलब है कि जरांगे की भूख हड़ताल 29 अगस्त को जालना स्थित अंतरवाली सरती गांव में शुरू हुई थी। उन्होंने कहा था कि वह तब तक धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे, जब तक राज्य सरकार कुनबी जाति के लिए प्रमाण पत्र जारी नहीं कर देती है। भूख हड़ताल पर बैठे जारांगे ने कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार को एक महीने का समय दे रहे हैं। ताकि, राज्य द्वारा नियुक्त समिति मराठा आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकें।
बता दें कि राज्य सरकार ने कुनबी (अब ओबीसी का हिस्सा) कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया है। 1960 से पहले मराठा समाज को कुनबी समाज का प्रमाणपत्र दिया जाता था। लेकिन संयुक्त महाराष्ट्र का गठन होने के बाद यह प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया है।
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