नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि के सनातन बयान ने राजनीति गलियारों में सियासी भूचाल लाने का काम किया है। अब इस विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। मंत्रिपरिषद की बैठक में उन्होंने दो टूक कहा है कि उदयनिधि के बयान पर सख्ती से जवाब देना बहुत जरूरी है।
पीएम मोदी ने बुधवार को आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में कहा कि डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की विवादास्पद ‘सनातन धर्म’ टिप्पणी का उचित जवाब दिया जाना चाहिए। उन्होंने मंत्रियों को भारत बनाम भारत विवाद पर टिप्पणी न करने की भी सलाह दी। पीएम ने कहा, “इतिहास में न जाएं, बल्कि संविधान के अनुसार तथ्यों पर टिके रहें। साथ ही, मुद्दे की समसामयिक स्थिति के बारे में भी बोलें।” इसके अलावा मंत्रियों से भी यह भी कहा कि जी-20 की बैठक के बारे में अधिकृत व्यक्ति के अलावा कोई भी मंत्री नहीं बोले।
साफ है कि तमिलनाडु के उदयनिधि स्टालिन के बयान और फिर कांग्रेस, AAP, RJD जैसी कई पार्टियों के नेताओं के बयानों को भाजपा मुद्दा बनाने के लिए तैयार है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी 2024 में इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करेगी। ऐसे वक्त में जब राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। तब इस तरह का मुद्दा भाजपा को थमा देने विपक्ष के लिए एक रणनीतिक चूक हो सकती है।
उदयनिधि ने सनातन की तुलना डेंगू-मलेरिया मच्छर से की थी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों वाले मच्छरों से करने के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। शनिवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, “ऐसी चीजों का विरोध ही नहीं किया जाना चाहिए बल्कि नष्ट किया जाना चाहिए।”
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