नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वैज्ञानिक एन वलारमथी (N Valarmathi) अब हमारे बीच नहीं रहीं। उनका दो सितंबर यानी शनिवार की शाम चेन्नई में निधन हो गया। वह देश के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सेटेलाइट RISAT की परियोजना निदेशक भी थीं। वलारमथी चंद्रयान-3 मिशन में भी शामिल थीं। काउंटडाउन के पीछे की आवाज उन्ही की थी।
तमिलनाडु के अरियालुर की रहने वालीं वलारमथी का निधन रविवार शाम को हो गया था। वैज्ञानिक वलारमथी का हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। उन्होंने राजधानी चेन्नई में अंतिम सांस ली। इस साल 23 अगस्त को चांद के उत्तरी ध्रुव पर लैंड करने वाले चंद्रयान 3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के समय काउंटडाउन की सुनाई देने वाली गिनती को वलारमथी ने आवाज दी थी। उनके निधन पर ISRO के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर पीवी वेंकटकृष्ण ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा, ‘श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की उलटी गिनती के लिए वलारमथी मैडम की आवाज अब सुनाई नहीं देगी। चंद्रयान 3 उनका अंतिम काउंटडाउन था। बहुत दुख हुआ। प्रणाम।’
कौन थीं महिला साइंटिस्ट एन वलारमथी?
एन वलारमथी का जन्म अरियालुर में 31 जुलाई, 1959 को हुआ था। स्कूलिंग और कॉलेज की पढ़ाई के बाद उन्होंने 1984 में ISRO ज्वाइन किया था। जानकारी के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के कई प्रोजेक्ट्स में उनका योगदान रहा है। एन वलारमथी ने विभिन्न अंतरिक्ष अभियानों में योगदान दिया। उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित रडार इमेजिंग सैटेलाइट, RISAT-1 के लिए प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम किया। बता दें कि RISAT-1 को अप्रैल 2012 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
महिला साइंटिस्ट एन वलारमथी पहली ऐसी साइंटिस्ट थीं, जिन्हें पहला एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड दिया गया था। अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान को देखते हुए ये पुरस्कार दिया गया था। बता दें कि अब्दुल कलाम अवार्ड 2015 में शुरू किया गया था।
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