बिल्डर अब नक्शों में नहीं कर सकेंगे गड़बड़ी, यूपी रेरा ने जारी किए नए नियम

प्रतीकात्मक चित्र

नोएडा। रियल एस्टेट प्रॉजेक्टों के नक्शे के बढ़ रहे विवादों को थामने के लिए यूपी रेरा ने नया नियम लागू किया है। इसके तहत अब प्राधिकरण से पास हुए नक्शे को राजस्व विभाग के मैप पर सुपर इम्पोज कराया जाएगा। इससे बिल्डर प्रॉजेक्ट के नक्शे से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं कर पाएगा।

उत्तर प्रदेश रेरा के चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि बिल्डर अब स्वीकृत नक्शे से बाहर जाकर निर्माण कार्य नहीं कर सकेंगे। अगर किसी बिल्डर ने ऐसा किया तो जीआईएस आधारित मास्टर प्लान में राजस्व विभाग के नक्शे से यह पकड़ में आ जाएगा। रेरा रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग करके इसका पता लगाएगा। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की तिमाही प्रोग्रेस रिपोर्ट की जांच के लिए स्पेशल सेल का गठन किया जाएगा। यूपी रेरा में 3472 प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं। इसमें 2000 से अधिक प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। रेरा के पास स्वीकृत नक्शे से बाहर जाकर निर्माण करने की शिकायत आती रहती हैं। बिल्डर स्वीकृत नक्शे से बाहर जाकर निर्माण कार्य कर लेते हैं।

यूपी रेरा चेयरमैन ने कहा कि अब बिल्डर ऐसा नहीं कर सकेंगे। सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 13 महानगरों में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार कर रही है। रेरा इस मास्टर प्लान का उपयोग करेगा। यह राजस्व विभाग से जुड़ा होगा। मास्टर प्लान में रिमोट सेंसिंग तकनीकी से परियोजना के नक्शे को राजस्व विभाग के नक्शे से मिलाएगा। पंजीकरण करने से पहले नक्शे की जांच की जाएगी। इस पता चल जाएगा कि नक्शा से बाहर निर्माण हुआ है या नहीं।

नए प्रोजेक्टों में नहीं होंगे विवाद
यूपी रेरा के अफसरों ने बताया कि यह व्यवस्था नए प्रोजेक्टों पर लागू होगी। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो फिर भविष्य में अवैध निर्माण को लेकर बिल्डर और खरीदारों के बीच होने वाले विवाद खत्म हो जाएंगे। जरा सा भी बदलाव पकड़ में आ जाएंगे। अफसरों ने बताया कि बड़े प्रोजेक्ट में यह काफी असरदार होगा।

अलग खाते में जमा होगा प्रोजेक्ट का 70 प्रतिशत पैसा
नए प्रोजेक्ट के लिए बिल्डरों को तीन बैंक अकाउंट (कलेक्शन, सेपरेट और ट्रांजेक्शन अकाउंट) खुलवाने का नियम है। कलेक्शन अकाउंट में पूरा पैसा आएगा। उसमें से 70 प्रतिशत धनराशि सेपरेट अकाउंट में डालनी होगी। जो केवल निर्माण पर खर्च होगी। बाकी 30 प्रतिशत धनराशि से प्रोजेक्ट के अन्य कार्य किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि अब बिल्डर बैंक को लिखित रूप में अधिकृत करेंगे कि बैंक कलेक्शन अकाउंट में आने वाली धनराशि का 70 प्रतिशत हिस्सा सेपरेट अकाउंट में भेजेगा। इसकी एक प्रतिलिपि पंजीकरण आवेदन के साथ यूपी रेरा में जमा करानी होगी। प्रोजेक्ट का पंजीकरण करने से पहले यूपी रेरा उस पत्र का बैंक के माध्यम से सत्यापन करेगा। पता लगाएगा कि कहीं बिल्डर ने झूठा पत्र को नहीं दिया है। बैंक खातों की सूचना उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बिल्डर के साथ-साथ वित्तीय संस्थान और बैंकों की भी होगी।

स्पेशल सेल का होगा गठन, बिल्डर की लापरवाही पर करेगा कार्रवाई
यूपी रेरा जल्द ही स्पेशल सेल का गठन करेगा। सेल प्रोजेक्ट की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की गहनता से समीक्षा करेगी। सभी जरूरी पैमानों के आधार पर रिपोर्ट नहीं देने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई की जाएगी। अहम है कि प्रदेश में 3400 से अधिक प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं। इनमें से 2000 से अधिक निर्माणाधीन हैं। सभी प्रोजेक्ट हर तीन माह में कार्य की प्रगति रिपोर्ट देते हैं। अभी तक भेजी जाने वाली रिपोर्ट का सही से आकलन नहीं हो पा रहा है। स्पेशल सेल प्रोजेक्ट के निर्माण में बरती जा रही लापरवाही पकड़ेगा।

डिफॉल्टर बिल्डरों संग बैठक जल्द
अधिकारियों ने बताया कि यूपी रेरा जल्द ही डिफॉल्टर बिल्डरों के साथ बैठक करेगा। बैठक में प्रोजेक्ट की समस्याओं की जानकारी मांगी जाएगी। साथ ही समाधान निकालने का प्रयास होगा। वहीं बैंक अधिकारियों के साथ भी प्रदेश स्तर पर बैठक की जाएगी। खरीदारों की एसोसिएशन के साथ भी लखनऊ और ग्रेटर नोएडा में बैठक की जाएगी।

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