नई दिल्ली। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का स्टेट दर्जा कब बहाल होगा और चुनाव कब कराए जाएंगे? इसको लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है। आर्टिकल 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव हो सकते हैं। फैसला निर्वाचन आयोग और राज्य चुनाव इकाई पर निर्भर करता है।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच के कई सवालों का जवाब दिया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए तेजी से काम कर रही है, लेकिन इसको लेकर कोई तय समयसीमा बताने में असमर्थ है। केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया चल रही है, इसे पूरा होने में एक महीने का समय लगेगा।
हालांकि, केंद्र ने स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। केंद्र ने आगे कहा कि इसे पूर्ण राज्य बनाने के लिए काम जारी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे। एसजे ने कहा कि पहला चुनाव पंचायत स्तर पर होगा, दूसरा नगरपालिका और फिर विधानसभा चुनाव होंगे।
केंद्र की दलीलें पढ़िए
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2018 की तुलना में 2023 में आतंकवादी घटनाओं में 45.2% की कमी आई है और घुसपैठ 90% तक कम हुई है। पथराव आदि जैसे कानून-व्यवस्था के मामलों में 97% की कमी आई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या में 65% की कमी आई है। 2018 में पथराव के मामले 1,767 थे जो अब शून्य हैं। केंद्र ने कहा कि 2018 में संगठित बंद 52 हुए थे और अब यह शून्य है।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ‘सरकार ने 5,000 लोगों को नजरबंद किया है, धारा 144 लागू की गई थी। इंटरनेट बंद था और लोग अस्पतालों में भी नहीं जा सकते थे… लोकतंत्र का मजाक नहीं बनाना चाहिए और बंद के बारे में बात न करें।’
Discussion about this post