लखनऊ/ गोरखपुर। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि आज जेल से बाहर आएंगे। दोनों को अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यपाल की अनुमति से रिहा किया गया है। इस आदेश से पहले ही मधुमिता शुक्ला की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं, जहां आज केस की सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।
66 साल उम्र, 20 साल की जेल, अब रिहा कर सकते हैं
इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 वर्ष होने और करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक जाति मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया।
सुप्रीम कोर्ट पहुंची मधुमिता की बहन
अपने वीडियो संदेश में निधि शुक्ला ने कहा- ‘आज मैंने जब सुना कि अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि की रिहाई का आदेश राज्यपाल महोदया ने दिया है तो मुझे बहुत हैरानी हुई। मैं यूपी सरकार और राज्यपाल को पिछले 15 दिनों से पत्र और ईमेल के जरिये लगातार सूचना दे रही हूं कि हमने अमरमणि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर 25 अगस्त यानी आज सुबह 11 बजे सुनवाई है, फिर यह आदेश किस तरह से हुआ है? मुझे पूरी उम्मीद है कि राज्यपाल महोदया को भ्रमित कर यह आदेश कराया गया है। मेरी प्रार्थना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आ जाता तब तक इस रिहाई पर रोक लगाई जाए। मेरे 20 सालों के संघर्ष की कुछ लाज आप लोग रख लीजिए। सिर्फ उतनी देर का समय आप लोगों से मांग रहे हैं। मैंने सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की याचिका लगाई हुई है जिस पर आज सुनवाई होनी है।’
अफेयर, फिर हत्या में खत्म हुआ राजनीतिक सफर
कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक जीवन खत्म हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि संपर्क में आए तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया। अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे।
देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाई थी सजा
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले पर राजनीति गरमाने के बाद इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगे तो मामले को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट शिफ्ट किया गया। जहां जांच एजेंसी ने अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार दिया।
लंबे समय से अस्पताल में हैं दोनों
अमरमणि और मधुमणि कई साल से जेल की जगह अस्पताल में हैं। कभी उनका गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में तो कभी लखनऊ स्थित केजीएमयू में अपना इलाज चलता रहा। इसे लेकर मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने कई बार शिकायतें कीं।