हिमाचल प्रदेश में कुदरत का कहर, अब तक 71 की मौत

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। अबतक बारिश के चलते तबाही की वजह से 71 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 75 हजार करोड़ रूप की संपत्ति को इस साल मानसून की वजह से नुकसान पहुंचा है। शिमला का सबसे पॉश एरिया हिमलैंड को डेंजर जोन घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु खुद कह रहे हैं कि इस आपदा में जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई करने में एक साल लग जाएगा।

हिमाचल में मानसून के 54 दिनों में ही 742 मिलीमीटर पानी बरस चुका है, जो जून से 30 सितंबर के बीच मौसम की औसत बारिश 730 मिलीमीटर की तुलना में अधिक है। मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई में बारिश ने पिछले 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने यह भी बताया कि मनाली, सोलन, रोहड़ू, ऊना, घमरूर, हमीरपुर और केलोंग शहरों ने नौ जुलाई को महीने में एक दिन में बारिश के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस दिन राज्य में अभूतपूर्व बारिश दर्ज की गई थी।

चार दिनों में 223 मिलीमीटर बारिश
मौसम विभाग के मुताबिकहिमाचल प्रदेश में सात से 10 जुलाई तक चार दिनों में 223 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, जो इसी अवधि में औसत बारिश 41.6 मिलीमीटर से चार गुना से भी अधिक है। रविवार से राज्य में मूसलाधार बारिश का दूसरा दौर चल रहा है। अधिकारी ने बताया कि अगले कुछ दिनों में मानसून कमजोर हो जाएगा और 25 अगस्त को फिर सक्रिय होने की संभावना है। इस मौसम में राज्य के कई हिस्सों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश दर्ज की जा रही है।

बीते चार दिनों हुई आफत की बारिश से 71 लोगों की मौत हो गई है और करोड़ों का नुकसान हुआ है। वहीं भूस्खलन की वजह से सड़के बंद है जिसके चलते सभी स्कूलों को आज बंद कर दिया गया है। प्रदेश सरकार ने केंद्र से अपील की है कि वह हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करे। इमारतों पर मंडरा रहे खतरों को देखते हुए वहां से 35 से अधिक घरों के निवासियों को खाली करा लिया गया। वहीं, शिव मंदिर में हुए हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। जैसे-जैसे बचावकर्मियों ने मलबे, मिट्टी और गिरे हुए पेड़ों के ढेर को सावधानीपूर्वक खंगाला, हर गुजरते पल के लोगों के शव बरामद हुए। अभी भी वहां कई लोग लापता हैं।

कांगड़ा से रेस्क्यू किए गए 1700 लोग
कांगड़ा से अब तक 1,700 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया। जिला प्रशासन, सेना और भारतीय वायुसेना मिलकर राहत-बचाव का कार्य कर रही है। वहीं, शिमला के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। बीते दिनों में भी कई बार शिमला में भारी भूस्खलन हुआ है। कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई तो कई इमारतें ढहने के कागार पर हैं। शहरी विकास विभाग की कई इमारतों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

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