नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से लाल किले पर दिए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में विश्वकर्मा योजना का एलान किया गया। यह योजना छोटे कारोबारियों को नई ताकत देगी और उनके लिए आजीविका के अवसर बढ़ाएगी। यह ऐसा समूह है जिनका राजनीतिक हस्तक्षेप भी होता है।
पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य स्किल ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराकर देशभर में मौजूद कारीगरों और शिल्पकारों की क्षमताओं को बढ़ाना है। इस स्कीम के तहत कुशल कारीगरों को एमएसएमई से भी जोड़ा जाएगा, जिससे कि उन्हें बेहतर बाजार मिल सके। पीएम विश्वकर्मा योजना का फायदा बढ़ई, सोनार, मूर्तिकार और कुम्हार आदि क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को मिलेगा। इसके जरिए सरकार की कोशिश शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना और साथ ही उन्हें घरेलू बाजार और वैश्विक बाजार के साथ जोड़ना है।
बजट में इस योजना का एलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि शिल्पकार स्वतंत्र और आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस योजना से महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को फायदा मिलेगा।
पीएम मोदी ने लाल किले से कहा कि आने वाले पांच साल में मोदी की गारंटी है कि देश पहली तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में जगह ले लेगा। गरीबी से बाहर आए 13.5 करोड़ लोग मध्यमवर्ग की शक्ति बन रहे हैं। जब गांव की शक्ति बढ़ती है तो शहरों की आर्थिक अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती है। हमें इस बल देकर आगे चलना चाहते हैं। पीएम मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान कहा कि सरकार अगले महीने पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ विश्वकर्मा योजना शुरू करेगी।
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