‘राजद्रोह’ खत्म हुआ या बदल गया? नए विधेयक में पहले से ज्यादा कड़ी सजा का प्रावधान

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मानसून सत्र के आखिरी दिन यानी 11 अगस्त को संसद में तीन महत्वपूर्ण बिले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल और भारतीय साक्ष्य विधेयक को पेश किया। ये बिल इसलिए ऐतिहासिक हैं क्योंकि पहली बार राजद्रोह, देशद्रोह और आतंकवाद को स्पष्ट तरीके से परिभाषित किया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अपने शब्दों, संकेतों, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करके उकसाने या लोगों को उत्तेजित करने का प्रयास करता है या भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या उसे करता है तो उसको न्यूनतम 7 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

गृह मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि नए क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आईपीसी की धारा 124 A के तहत आने वाले राजद्रोह को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। इसके अलावा नए विधेयक को संसदीय पैनल की स्क्रूटनी के लिए भेजा जाएगा। अब इसे भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 के तहत अगर देशद्रोह की बात करें तो बस इसका नाम बदल दिया गया है। वहीं जहां पहले 124 ए में ‘भारत की सरकार’ का उल्लेख था उसे बदलकर ‘भारत की एकता और अखंडता’ कर दिया गया है।

इस धारा 150 में भी अगर कोई अलगाववादी गतिविधियां करता है या फिर उनको बढ़ावा देता है तो उसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इस सेक्शन 150 में कहा गया है, ‘कोई भी व्यक्ति शब्दों से, लिखिता या मौखिक रूप से, सांकेतिक रूपसे या फिर दृश्य तरीके से इलेक्ट्रॉनिक या फिर वित्तीय माध्यमों से अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देता है या फिर भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों या भावनाओं को बढ़ावा देता है तो ऐसे कृत्य के लिए उसे उम्र कैद या फिर सात साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।’

क्या कहता था आईपीसी का सेक्शन 124A
राजद्रोह की धारा में भी इससे इतर कोई बात नहीं कही गई थी। बस सजा का प्रावधान जुर्माना या फिर तीन साल की कैद थी। इसें लिखा गया था, कोई भी व्यक्ति शब्दों से, लिखिता या मौखिक रूप से, सांकेतिक रूप से अलगाववाद, सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देता है या फिर भारत की सरकार को खतरे में डालने वाली गतिविधियों या भावनाओं को बढ़ावा देता है तो ऐसे कृत्य के लिए उसे तीन साल की कैद या फिर कैद के साथ जुर्माना हो सकता है।’नए विधेयक में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन और वित्तीय माध्यमों को भी जोड़ दिया गया है। इसके अलावा सजा का भी प्रावधान बढ़ा दिया गया है।

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