नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कुछ सांसदों की उन शिकायतों को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया। वहीं राघव चड्ढा ने दिल्ली वाले बिल को लेकर हुए विवाद में खुद को बेकसूर बताया है। बिल को सलेक्ट कमिटी में भेजे जाने को लेकर उनके प्रस्ताव के बाद पांच सांसदों की ओर से लगाए गए आरोपों को राघव चड्ढा ने गलत बताते हुए कहा कि इसमें दस्तखत नहीं है। इसलिए फर्जीवाड़े की बात गलत है।
गुरुवार को आप के तीन राज्यसभा सांसदों संजय सिंह, राघव चड्ढा और संदीप पाठक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि भाजपा सरकार राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म करना चाहती है। राघव ने रूल बुक दिखाते हुए कहा, ‘किसी भी सलेक्ट कमिटी के गठन के लिए आप नाम प्रस्तावित करते हैं, जिस मेंबर का नाम प्रस्तावित किया जाता है। उसका ना साइन चाहिए और ना लिखित सहमति चाहिए। इस किताब में कहीं नहीं लिखा है कि सलेक्ट कमिटी में किसी सदस्य का नाम देने के लिए उस सदस्य की लिखित सहमति या साइन चाहिए। एक झूठा प्रचार फैलाया गया कि फर्जीवाड़ा हो गया साइन का। जब भी सलेक्ट कमिटी के लिए नाम प्रस्तावित किए जाते हैं तो ना साइन लिए जाते हैं, ना जमा किए जाते हैं, ना इसकी जरूरत होती है। जब किसी से हस्ताक्षर लिया नहीं, जमा किया नहीं तो फर्जी साइन की अफवाह फैलाई जा रही है। यह गलत और झूठ है। मैं बीजेपी के नेताओं को चुनौती देता हूं कि वह कागज दिखाएं मुझे जिसमें यह दस्तखत हैं।’
राघव ने कहा कि उनके खिलाफ जो मामला दर्ज किया गया उसको लेकर पार्लियामेंट्री बुलेटिन में कहीं भी फर्जीवाड़ा, साइन जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार समिति अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली जैसे नेताओं के खिलाफ भी जांच कर चुकी है। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी होने की उम्मीद जाहिर करते हुए राघव ने कहा कि उन्होंने पूरी मजबूती से दिल्ली के अध्यादेश पर अपनी बात रखी थी। इसके छह घंटे बाद बीजेपी ने आरोप लगाए। उन्हें दिक्कत इस बात से नहीं है कि कुछ नाम प्रस्तावित किए, बल्कि दिक्कत इस बात से है कि एक युवा ने ललकारा कैसे।
संजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने एक नई परंपरा शुरू कर दी है, जो भी सरकार के खिलाफ बोले उसकी सदस्यता खत्म करो, निलंबित करो, बाहर करो, एफआईआर करो। संजय सिंह ने कहा, ‘सलेक्ट कमिटी में किसी भी सदस्य के द्वारा किसी भी सदस्य का नाम प्रस्तावित किया जा सकता है। उसके किसी सिग्नेचर की आवश्यकता नहीं होती। आपका मकसद है राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म करना। लेकिन हम लोग अरविंद केजरीवाल के सिपाही है, आम आदमी पार्टी के सिपाही हैं। हर साल में लड़ना और जीतना जानते हैं। किसी तरह आपने हथकंडे अपनाकर राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म की तो दोबारा चुनकर आ जाएंगे।’
दरअसल, राघव चड्ढा ने राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान दिल्ली सेवा विधेयक के लिए प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। इस पर राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह का कहना था कि उक्त मोशन पेश करने में चड्ढा ने कथित तौर पर सांसदों के फर्जी दस्तखत लगाए हैं।
आरोप है कि मोशन में चार सांसदों के नाम शामिल किए गए थे। सांसदों का आरोप है कि उन्होंने इसके लिए सहमति नहीं दी थी। वहीं आरोपों का खंडन करते हुए राघव चड्ढा का कहना था कि बिल सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव पर किसी सदस्य के दस्तखत की जरूरत ही नहीं होती है। यह तो नियम है। हालांकि सभापति ने विशेषाधिकार भंग किए जाने संबंधी शिकायत अब विशेषाधिकार समिति के हवाले कर दिया है।
राज्यसभा की ओर से साझा की गई जानकारी में कहा गया है कि तथ्यों पर विचार करने के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar) ने राज्यसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 203 के तहत मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है।
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