गाजियाबाद। नितीश कटारा हत्याकांड के गवाह अजय कटारा की हत्या की कोशिश मामले में 16 साल बाद फैसला आया है। इस मामले में अदालत ने बाहुबली डीपी यादव समेत तीन लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
एमपी/एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश नेत्रपाल सिंह ने डीपी यादव समेत तीन लोगों को बुधवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में सात गवाह पेश किए गए। इस मामले की अंतिम सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट एडीजे-सात न्यायाधीश नेत्रपाल सिंह की अदालत में हुई। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में डीपी यादव, तनु चौधरी और सलीम खान को हत्या के प्रयास और साक्ष्य छिपाने के आरोपों से बरी कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
थाना साहिबाबाद में 18 जुलाई 2007 को अजय कटारा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 11 जुलाई 2007 को रात करीब नौ बजे अनुज शर्मा व मनोज शर्मा उनके घर पर आए। उनका अपनी पत्नी तनु चौधरी से विवाद चल रहा था। जिसका समझौता कराने के लिए वह लोग उन्हें मोहन नगर मंदिर अपनी गाड़ी में ले गए। वहां पर यतेंद्र नागर, नंदकिशोर गुर्जर व सलीम खान मिले। उन्होंने कहा तनु चौधरी अभी आ रही हैं। इस दौरान उन्हें आलू की टिक्की खाने के लिए दी गई जो उन्हें कड़वी लगी, उन्होंने टिक्की फेंक दी। इसके बाद उन्हें कोल्ड ड्रिंक पिलाने की कोशिश की गई, जिसे उन्होंने फेंक दिया। कटारा ने आरोप लगाया कि टिक्की में जहर था। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अकेला छोड़कर सारे लोग फरार गए। उन्होंने फोन कर अपने दोस्त अरुण और सरदार लखबीर सिंह को मौके पर बुलाया। दोस्तों ने उन्हें श्याम लाल पन्ना लाल अस्पताल पहुंचाया जहां इलाज के बाद उनकी जान बची।
डीपी यादव को इस तरह बनाया आरोपी
अजय कटारा का आरोप है कि डीपी यादव के दबाव में आकर डॉक्टर ने जहर की रिपोर्ट में छेड़छाड़ किया था। डॉक्टर ने रिपोर्ट को फूड प्वाइजनिंग में बदल दिया था। शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपियों की कॉल डिटेल निकाली तो सभी की लोकेशन घटनास्थल पर मिली और सभी मोबाइल से बातचीत करते पाए गए। अजय कटारा का कहना था कि उन्होंने नितीश कटारा हत्याकांड में डीपी यादव के बेटे एवं अन्य आरोपियों के खिलाफ 27 जुलाई 2007 को पटियाला हाउस कोर्ट में गवाही दी थी। इस वजह से आरोपी उनकी हत्या करना चाहते थे।
चार लोग साक्ष्य के अभाव में पहले ही बरी
सात आरोपियों में लोनी के वर्तमान विधायक नंद किशोर गुर्जर भी थे। साल 2007 में नंद किशोर गुर्जर छात्र राजनीति करते थे। साल 2013 में अदालत ने नंद किशोर गुर्जर, यतेंद्र नागर, अनुज शर्मा और मनोज शर्मा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। नंद किशोर गुर्जर ने बताया कि उन्हें झूठा फंसाया गया था। दस साल पहले ही उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था। वह साल 2017 में पहली बार विधायक बने।
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