नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कोल- ब्लॉक आवंटन मामले में अनियमितता केस में दिल्ली की विशेष अदालत ने कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को चार साल की कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उनके बेटे देवेंदर दर्डा और मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को भी इतनी ही सजा सुनाई है। अदालत ने पूर्व कोल सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ लोकसेवकों केएस क्रोफा और केसी समरिया को इसी मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई है।
दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र दर्डा पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मनोज कुमार जायसवाल पर भी 15 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया गया है। पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 3 साल की सजा के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस मामले में सीबीआई ने अदालत से दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी। अदालत ने विजय दर्डा और अन्य को धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित मामले में अपनी पहली एफआईआर में सीबीआई ने कहा कि जेएलडी यवतमाल ने 1999-2005 में अपने समूह की कंपनियों को चार कोयला ब्लॉकों के पिछले आवंटन को गलत तरीके से छुपाया। बाद में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई जिसमें कहा गया कि कोयला मंत्रालय ने कंपनी को कोई अनुचित लाभ नहीं दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह साबित करने के लिए कुछ भी ठोस सामने नहीं आया कि कोयला मंत्रालय के अधिकारी और जेएलडी यवतमाल एनर्जी के निदेशक धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश में शामिल थे। ट्रायल कोर्ट ने नवंबर 2014 में क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और सीबीआई को मामले में आगे की जांच करने का निर्देश दिया। इसमें कहा गया है कि विजय दर्डा ने मनमोहन सिंह को लिखे पत्रों में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, जिनके पास उस समय कोयला विभाग था।
Discussion about this post