बालासोर। ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे को डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय हो चुका है। ट्रेन हादसे में 295 लोगों की जान चली गई थी। अब तक 40 शवों की पहचान नहीं हो पाई है।
एम्स भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. (प्रोफेसर) आशुतोष विश्वास ने जानकारी दी कि लोग (परिजन) हमारे पास आ रहे हैं और हम डीएनए सैंपल के मिलान के बाद शव सौंप रहे हैं। हमारे पास अभी भी 40 से लावारिश शव हैं। उधर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि सिग्नलिंग में गड़बड़ी की वजह से यह ट्रेन हादसा हुआ था। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने हादसे की जांच पूरी कर ली है। जांच में पता चला है कि हादसे से कुछ दिनों पहले नॉर्थ सिग्नल (गुमटी स्टेशन) पर सिग्नलिंग सर्किट में बदलाव हुआ था।
रेल मंत्री ने 40 पेज की रिपोर्ट का हवाला दिया
रेल मंत्री ने राज्यसभा में मार्क्सवादी नेता जॉन ब्रिटास और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के सवाल के जवाब में राज्यसभा को लिखित में यह जानकारी दी। उन्होंने सदन में जिस 40 पेज की रिपोर्ट का जिक्र किया, वह 3 जुलाई को सामने आई थी।
स्टेशन पर लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के रिप्लेसमेंट से जुड़े सिग्नलिंग वर्क के दौरान गड़बड़ी हुई थी। इसकी वजह से ही ट्रेन को गलत लाइन पर ग्रीन सिग्नल दे दिया गया, जहां पहले से ही मालगाड़ी खड़ी थी। इसी वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकराई गई। फिर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट कोरोमंडल की बोगियों में भिड़ गई। यह हादसा रेलवे अधिकारियों की ओर से हुई चूक और लापरवाही को दिखाता है।