दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के कमांडर यासीन मलिक के व्यक्तिगत रूप से पेशी मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। जेल प्रशासन ने एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट सहित दो सहायक सुपरिंटेंडेंट और एक अन्य कर्मी को निलंबित किया है।
आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन सजा काट रहा यासीन मलिक इस वक्त तिहाड़ जेल नंबर-7 में बंद है। मलिक को जम्मू कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में पेश किया जाना था। कैदी की वर्चुअल पेशी भी संभव है। बावजूद इसके मलिक को शुक्रवार सुप्रीम अदालत में पेश किया गया। इस पर शीर्ष अदालत ने सख्त नाराजगी जाहिर की। मामला संज्ञान में आने पर तिहाड़ जेल प्रशासन के होश उड़ गए। आला अधिकारियों ने कनिष्ठ अधिकारियों को फटकार लाई। मामले की संजीदगी को देखते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा था?
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखा और कहा कि ये गंभीर सुरक्षा चिंता का मामला है। यासीन मलिक को बिना किसी आधिकारिक आदेश के सुप्रीम कोर्ट लाया गया। मलिक भाग सकता था या मारा जा सकता था।
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