नई दिल्ली। कहते हैं कि एक उम्मीद ही है, जिसपर दुनिया कायम है…यह कहावत देश की राजधानी दिल्ली के एयरपोर्ट पर उस वक्त सही साबित हुई, जब 17 से बिछड़ा हुआ बेटा एक मां को वापस मिल गया। इस मां को उम्मीद थी कि एक ना एक दिन उसका बेटा उसे जरूर मिलेगा और एक फेसबुक पोस्ट ने यह कमाल कर दिखाया।
मूल रूप से तिरुवनंतपुरम के नगरूर का रहने वाला 37 साल का शख्स लंदन में भारतीय उच्चायोग से जारी किए गए आपातकालीन प्रमाणपत्र पर 6 जुलाई को दिल्ली पहुंचा था। 10 जुलाई को वकील दीपा जोसेफ इंटरनेशनल टर्मिनल पर मौजूद थीं। दीपा ने देखा कि वहां कैफेटेरिया में झगड़ा हो रहा है। कर्मचारियों के साथ शख्स का विवाद बढ़ने लगा। शख्स पर आरोप था कि उसने कैफेटेरिया के डिस्प्ले में रखा गया खाना चुरा लिया। दीपा ने विवाद में हस्तक्षेप किया और कैफेटेरिया वालों को खाने का भुगतान किया। दीपा ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया, ‘जब मुझे पता चला कि वो शख्स एक इमरजेंसी पासपोर्ट पर भारत आया है तो मैंने उससे उसकी डिटेल मांगी, लेकिन उसे बस इतना याद था कि उसका परिवार केरल में रहता है, इसके अलावा वो साफ-साफ कुछ नहीं बता पाया। वो मानसिक तौर पर काफी परेशान भी लग रहा था। पूछने पर उसने बताया कि उसके पास महज 2 डॉलर और एक बिना सिम वाला पुराना मोबाइल फोन है। मेरे कुछ कार्यक्रम पहले से तय थे, इसलिए मैं उसकी मदद के लिए वहां रुक भी नहीं सकती थी।’
हालांकि दीपा ने उस शख्स के साथ एक फोटो ली और इसे अपने फेसबुक पेज पर अपलोड करते हुए लोगों से उसके परिवार को पहचानने में मदद की अपील की। उसी शाम एक यूजर ने दीपा की पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक पुलिस अधिकारी का नंबर शेयर किया और लिखा कि इन्हें इस शख्स के बारे में जानकारी है। दीपा ने उस नंबर पर फोन किया तो पता चला कि उस शख्स की मां अपने बेटे की तलाश में पहले से ही पुलिस स्टेशन में मौजूद है। पुलिस स्टेशन में मौजूद महिला ने दीपा को फोन पर बताया कि जिस शख्स की तस्वीर उन्होंने अपने फेसबुक पर अपलोड की है, वो उनके बेटे की है।
दीपा जोसेफ को उस महिला ने बताया कि नौकरी की तलाश में उसका बेटा 17 साल पहले यूके गया था, लेकिन वहां जाने के बाद उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद दीपा ने दिल्ली में एयरपोर्ट पर मिले उस शख्स को खोजा और उससे उसकी मां को मिलवा दिया।
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