नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। अपील करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि अगर राहत नहीं दी गई तो उनका आठ साल का करियर खत्म हो जाएगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पुर्णेश मोदी की जिस याचिका के आधार पर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है, वह न तो गंभीर है और न ही उसकी कोई नैतिक वैल्यू है, जिसके आधार पर इतनी कड़ी सजा दी जाए। राहुल गांधी ने अपनी याचिका में आगे कहा कि जिन शब्दों के लिए उन्हें सजा सुनाई गई है, वह एक राजनैतिक विपक्षी के लिए था, न कि किसी जाति या समुदाय के खिलाफ। उन्होंने कहा है कि इस बात को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य भी नहीं है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी अर्जी में सबसे बड़ी दलील ये है कि उनका आठ साल का करियर सीधे-सीधे खराब हो जाएगा। वे इस मामले को इतना बड़ा नहीं मानते हैं, ऐसे में वो कड़ी सजा भी नहीं चाहते हैं। यहां ये समझना जरूरी है कि Representation of the People Act सेक्शन 8(3) के तहत अगर किसी को दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है तो 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकता है। इसी वजह से कहा जा रहा है कि आठ साल खराब हो सकते हैं।
वायनाड के लोग खो देंगे प्रतिनिधित्व
पूर्व कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि वह एक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर उन्हें सजा मिलती है और सांसदी छिन जाती है तो उनके क्षेत्र के लोग संसद में अपना प्रतिनिधित्व खो देंगे और उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं होगा। अगर सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो यह वायनाड लोकसभा क्षेत्र के लोगों के साथ भी एक तरह से नाइंसाफी होगी।
यह है मामला
राहुल गांधी ने ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ प्रसन्ना एस. के जरिये अपील दायर की। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से 24 मार्च, 2023 को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता। उच्च न्यायालय ने इस मामले में दोषसिद्धि पर रोक संबंधी राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए सात जुलाई को कहा था कि ‘राजनीति में शुचिता’ अब समय की मांग है।
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