कानपुर। आरिफ और सारस की दोस्ती और फिर बिछड़ने की कहानी किसी से छुपी नहीं है। सारस अब कानपुर के चिड़ियाघर हैं। आरिफ के वहां आने-जाने पर पाबंदी है। लेकिन फिर भी किसी तरह आरिफ तीन माह से बाड़े में रखे गए सारस से मिलने बिना बताए चुपचाप ही वहां पहुंच गए। जैसे ही आरिफ ने चेहरे से मास्क उतारा, सारस खुशी से उछलने और इधर उधर भागने लगा। इसकी जानकारी होने पर चिड़ियाघर प्रशासन में हडकंप मच गया, मामले की जांच शुरू कर दी है।
आरिफ ने इंस्टाग्राम का इस मुलाकात का वीडियो डाला है। इस वीडियो में आरिफ को देखते हुए सारस खुशी से झूम उठा और बाड़े में ही पंख फैलाकर खुशी का इजहार किया। सारस आरिफ से बाड़े के बाहर मिलने को बेताब दिखा। मानो ऐसा लग रहा था कि सारस आरिफ बिना तड़प रहा है…आज भी। आरिफ का कहना है कि चार माह बाद मैं यहां आया। मेरा आग्रह है कि हमारे दोस्त को हमें सौंप दिया जाए। आरिफ बताते हैं कि वह गुरुवार को खामोशी से कानपुर आए और बिना किसी को जानकारी दिए सीधे प्राणि उद्यान चले गए। कई दिन से दोस्त सारस की याद सता रही थी। जब एक दिन बेचैनी बढ़ी तो मुलाकात के लिए निकल पड़ा। काउंटर से टिकट खरीदा। हमें कोई जानता नहीं था। मास्क लगाया और जू में दाखिल हो गया। सीधे उसी पिंजरे में गया जहां हमारा दोस्त था।
चुटकी बजाई, बोला..अरे पहचाना..पहचाना
आरिफ पिंजरे के पास खड़ा हुआ तो थोड़ी देर उसकी निगाह उस पर नहीं पड़ी। वह गुमसुम एक कोने में खड़ा था। जैसे ही चुटकी बजाई…कहा, पहचाना। बस फिर क्या था वह जाली के करीब आ गया। हमारी उंगलियों को अपनी चोंच में दबाकर अपने प्यार का इजहार करने लगा। उसने उछलना शुरू कर दिया। उसकी खुशी या तड़प का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। आरिफ ने कहा कि मैं वहां 10 मिनट रुका। मैं भी अंदर ही अंदर बहुत परेशान होने लगा। ऐसे में जल्दी लौटना ही ठीक लगा।
गौरतलब है कि अमेठी के रहने वाले आरिफ ने एक घायल सारस को बचाया था। उसके बाद आरिफ ने सारस को अपने घर में ही रख लिया। धीरे-धीरे सारस और आरिफ की दोस्ती बढ़ती गई। जब बात मीडिया में आई तो सरस को रेस्क्यू करते हुए उसे कानपुर जू शिफ्ट कर दिया गया। चूंकि सारस राज्य पक्षी है, लिहाजा उसे संरक्षण प्राप्त है, उसे पाला नहीं जा सकता लेकिन आरिफ और सारस की दोस्ती काफी मशहूर हुई थी।
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