1996 लाजपत नगर ब्लास्ट: 27 साल बाद फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों को सुनाई अजीवन कारावास की सजा

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के लाजपत नगर में 1996 में हुए बम विस्फोट मामले के चार दोषियों को अपराध की गंभीरता का हवाला देते हुए बिना किसी छूट के शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे और लगभग 40 घायल हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली बट और जावेद अहमद खान को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कहा कि मामला बेहद गंभीर है। बम ब्लास्ट में निर्दोष लोगों की जान गई थी और इसमें आरोपियों का रोल था। ऐसे में उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाती है और निर्देश दिया जाता है कि उन्हें सजा में छूट नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है, वहीं दो अन्य आरोपियों को भी उम्रकैद की सजा दी है, जिन्हें हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। जबकि इन दोनों को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी।

जिस शाम दहल उठा था लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट
21 मई 1996 की शाम 7 बजे लोग खरीदारी में व्यस्त थे। चारों तरफ रौनक ही रौनक थी। तभी एक जबर्दस्त बम धमाका हुआ। पल भर में वहां मातम छा गया। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई और 38 लोग घायल हुए। पुलिस के मुताबिक, धमाके के पीछे जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट की साजिश थी। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस ब्लास्ट के पीछे दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन का भी हाथ था।

लाजपत नगर मार्केट के आसपास की 14 दुकानें तबाह हो गईं। वहां खड़ी आठ कारें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस को मौके पर मौजूद चश्मदीद ने इत्तला की थी। ब्लास्ट इतना जोरदार था कि वहां आसपास की इमारतों में आग लग गई और फायर ब्रिगेड को उस पर काबू पाने में करीब दो घंटों तक मशक्कत करनी पड़ी। मौके से पुलिस के साथ-साथ सेंट्रल फरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के अधिकारियों ने सैंपल उठाए और आईबी की टीम ने भी मौके का मुआयना किया।

जेकेआईएफ की तरफ से विभिन्न मीडिया हाउसों को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक नंबर से फोन कर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई थी। पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने फारूक अहमद को गिरफ्तार किया। फारूक की मददगार फरीदा डार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फारूक के पास से पुलिस ने एक एके-56, दो मैगजीन, 1.7 किलो आरडीएक्स और कुछ न्यूज पेपरों के नंबर बरामद किए। फारूक और फरीदा के अलावा मोहम्मद नौशाद, मिर्जा इफ्तिखार, मोहम्मद अली बट, लतीफ अहमद, मिर्जा निसार हुसैन, सैयद मकबूल शाह, जावेद अहमद खान और अब्दुल गनी को भी गिरफ्तार किया गया। नौशाद दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके का रहने वाला है। बाकी आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।

इससे पहले भी किया गया था बम प्लांट
इन 10 आरोपियों के खिलाफ 19 अगस्त 1996 को चार्जशीट दाखिल की गई। जबकि इसी मामले में टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम व जेकेआईएफ चीफ बिलाल अहमद सहित अन्य आरोपियों को फरार बताया गया। ये आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस ने कुल 201 गवाहों की लिस्ट कोर्ट में पेश की।

सरकारी वकील एस. के. दास ने बताया था कि आरोपियों ने पहले भी लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट में ब्लास्ट कराने के इरादे से बम प्लांट किए थे, लेकिन उन मौकों पर तकनीकी कारणों से विस्फोट नहीं हो पाया। इसके बाद आरोपियों ने नेपाल से एक शख्स को बुलाया, जो ब्लास्ट करने में माहिर था। इस धमाके में केमिकल गैस का इस्तेमाल किया गया। दास के मुताबिक, फरीदा डार उर्फ ‘बहनजी’ जेकेआईएफ के चीफ बिलाल अहमद की बहन है।

दरअसल, इस ब्लास्ट की साजिश बिलाल ने ही रची थी। इसके लिए बिलाल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क किया और उसने जम्मू-कश्मीर में अपने साथियों को ब्लास्ट को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी। बिलाल के बारे में पुलिस ने बताया कि वह पाक अधिकृत कश्मीर में रहता है और वहीं से अपनी गतिविधियों को ऑपरेट करता है। बिलाल के लिए फारूक और फरीदा चीफ कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करते थे।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
बम धमाके की ये घटना 21 मई, 1996 को हुई थी. इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 22 अप्रैल, 2010 को दोषियों को मौत की सजा सुनाई यानी करीब 13 साल पहले इस मामले में फैसला सुनाया गया था, जिसके बाद बाकी अदालतों में ट्रायल चलता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी छूट के जीवन खत्म होने तक दोषियों को कारावास की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी अगर जमानत पर हैं, तो हैं संबंधित अदालत के समक्ष तुरंत आत्मसमर्पण करें। इसके अलावा उनके जमानत बांड रद्द कर दिए गए हैं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में हुई देरी को लेकर भी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की तुरंत सुनवाई होनी चाहिए। खासतौर पर जब ये राष्ट्रीय सुरक्षा और आम आदमी से जुड़ी हो।

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