नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी आपत्ति संबंधी दस्तावेज बुधवार (5 जुलाई) को लॉ कमीशन को भेज दिया। बोर्ड ने साफ किया कि मुल्क को इसकी जरूरत नहीं है। बोर्ड ने इसे लागू करने में इतनी जल्दबाजी पर सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगाए हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बुधवार को वर्चुअल बैठक हुई। अध्यक्षता मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने की। इससे बोर्ड के देशभर में पदाधिकारी और सदस्य ऑनलाइन जुड़े। बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर चर्चा की। बैठक के बाद AIMPLB के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बोर्ड के सभी लोग शामिल थे। मीटिंग में UCC पर चर्चा हुई और सभी ने इसका विरोध किया है। एआईएमपीएलबी की ओर से कहा गया कि इसे (यूसीसी) लेकर राजनीति हो रही है। मीडिया प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है, बिना किसी ब्लूप्रिंट के सुझाव मांगे जा रहे हैं। इस्लाम में लोग इस्लामिक कानूनों से बंधे हुए हैं, इसमें किसी तरह से बहस नहीं हो सकती है।
भारत के मुसलमान अपनी पहचान खोने को तैयार नहीं
बोर्ड की ओर से कहा गया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और Sunnah से सीधे लिए गए हैं और उनकी पहचान से जुड़े हैं। भारत के मुसलमान अपनी पहचान खोने को तैयार नहीं हैं। देश में कई तरह के पर्सनल लॉ संविधान के आर्टिकल 25, 26 और 29 के मुताबिक हैं।
विरोध में तैयार किया जाएगा ड्राफ्ट
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में मुख्यतः समान नागरिक संहिता की खामियों और इसके लागू होने पर दुष्प्रभावों पर एक ड्राफ्ट तैयार करते हुए विधि आयोग को सौंपने का फैसला किया गया। इसे आम सहमति से तैयार किया जाएगा।
विरोध के लिए जारी किया पत्र
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद फजलुरेहीम मुजद्दीदी की ओर से समान नागरिक संहिता का विरोध करने के लिए एक पत्र भी जारी किया गया। इसमें एक क्यूआर कोड दिया गया है। इसमें कहा गया है कि विधि आयोग द्वारा इस पर राय मांगी गई है। इस क्यूआर कोड पर जाकर अपना विरोध दर्ज कराया जा सकता है।
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