गाजियाबाद। न्यू आर्यनगर चौराहा स्थित स्मार्ट हास्पिटल में कथित तौर पर इलाज में लापरवाही से ढाई महीने के बच्चे की मौत होने के चलते अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई( एनआईसीयू) को को सील कर दिया है। सीएमओ ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
कृष्णानगर निवासी करुणेश त्यागी के ढाई महीने ने अपने बेटे देवांश त्यागी को सोमवार की रात साढ़े आठ बजे हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसे उल्टी-दस्त हुए थे। तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। इसलिए, अस्पताल लेकर आए थे। बाल रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर नावेद अख्तर की देखरेख में उसका उपचार शुरू हुआ। आरोप है कि थोड़ी देर बाद डाॅक्टर चले गए। रात दस बजे अस्पताल के प्रबंधक ने बताया कि बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है। इसके बाद प्रबंधक भी चले गए। इसके बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने अस्पताल के स्टाफ से डॉक्टर को बुलाने को कहा। स्टाफ बार-बार एक ही जवाब देता रहा, बात कर रहे हैं, डाॅक्टर साहब आ जाएंगे। रात से सुबह हो गई लेकिन डाॅक्टर नहीं आए। अस्पताल में कोई डाॅक्टर ही नहीं था और स्टाफ के बुलाने पर डाॅक्टर नावेद आए नहीं। मंगलवार सुबह सात बजे स्टाफ ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई है।
बच्चे की मौत के बाद थमाया 39 हजार का बिल
देवांश के ताऊ ललित त्यागी ने बताया कि बच्चे को भर्ती करते समय उनसे सात हजार रुपये जमा कराए गए थे। उसकी मौत हो जाने के बाद अस्पताल के स्टाफ ने 39 हजार रुपये का बिल थमा दिया। ललित त्यागी का कहना है कि अगर अस्पताल का स्टाफ उन्हें यह बता देता कि रात में कोई डाॅक्टर नहीं आएगा तो वे बच्चे को किसी और अस्पताल में ले जाते। उसे उपचार मिल जाता तो उसकी जान न जाती। उसकी मौत का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ डाॅक्टरों की लापरवाही है।
वहीं स्मार्ट हास्पिटल के संचालक डाॅ. केपी शर्मा का कहना है कि उपचार में लापरवाही का आरोप गलत है। डाॅक्टर बच्चे को देखने के बाद ही गए थे। इसके बाद भी बच्चे के उपचार पर डाॅक्टर की नजर थी। डाॅक्टर नावेद और वह खुद भी ऑनलाइन सभी रिपोर्ट देख रहे थे और स्टाफ से बात कर रहे थे। भर्ती कराए जाते समय ही बच्चे की हालत बेहद नाजुक थी। ऐसा लग रहा है कि परिजनों ने बिल माफ कराने के लिए आरोप लगाया है।
जांच के बाद खुलेगी सील
सीएमओ के निर्देश पर एनआईसीयू पर सील एसीएमओ डाॅक्टर चरण सिंह ने लगाई। चरण सिंह ने बताया कि एनआईयूसी को जांच पूरी होने तक के लिए सील किया गया है। जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। सील लगाए जाते समय उसमें कोई बच्चा भर्ती नहीं था।
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