अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के मामले में कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत खारिज की। हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करने के तुरंत बाद सरेंडर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने पिछले साल यह याचिका दाखिल की थी। सीतलवाड़ पर 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े सबूत गढ़ने का आरोप है।
गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद 25 जून, 2022 को अरेस्ट भी किया था। कई महीने तक तीस्ता सीतलवाड़ को जेल में रहना पड़ा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीलतवाड़ को सितंबर, 2022 में जमानत दी थी। इसके बाद वह जेल से बाहर आ पाई थीं। गुजरात हाई कोर्ट में निर्जर देसाई ने तीस्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई की और तीस्ता की मांग को खारिज कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में क्लीन चिट मिलने के बाद गुजरात पुलिस की अहमदाबाद डीसीबी ने गलत सबूत गढ़ने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। तीस्ता के अलावा इस मामले में उनके साथ सस्पेंड किए गए आईपीएस संजीव भट्ट और राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार भी हैं। इस मामले में यह दोनों भी सह आरोपी हैं।
तीस्ता पर क्या हैं आरोप?
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप हैं कि उन्होंने गुजरात दंगों के बाद कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी के साथ मिलकर साजिश की और गलत सबूत से गलत केस दाखिल किए, ताकि उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (अब प्रधानमंत्री) को फंसाया जा सके। इतना ही नहीं तीस्ता पर आरोप है उन्होंने संस्पेंड किए गए आईपीएस और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की इसमें मदद ली थी।