‘आदिपुरुष’ पर हाईकोर्ट का मनोज मुंतशिर को नोटिस, कहा- हिंदुओं की सहनशीलता की परीक्षा क्यों?

मनोज मुन्तशिर

लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदिपुरुष फिल्म पर विवाद मामले में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की। सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने फिल्म के डायलॉग लेखक मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए, उन्हें नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन और रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर जस्टिस राजेश सिंह चौहान और श्री प्रकाश सिंह की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा, “क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है? भगवान हनुमान और सीता मां को ऐसा दिखा कर समाज में क्या संदेश देना चाहते हैं?” कोर्ट ने कहा, “हिंदू समाज की सहनशीलता की परीक्षा क्यों ली जा रही है? भगवान का शुक्र है कि उन्होंने कानून-व्यवस्था नहीं तोड़ा।” सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगते हुए बेंच ने कहा, “यह गंभीर मामला है। क्या आप सेंसर बोर्ड से पूछ सकते हैं कि यह कैसे किया गया? क्योंकि राज्य सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकती।”

जिन्होंने सिर्फ हॉल बंद करवाया, वो कुछ और भी कर सकते थे
कोर्ट ने आगे कहा- जो सज्जन हैं उन्हें दबा देना सही है क्या? यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म के बारे में है, जिसके मानने वालों ने कोई पब्लिक ऑर्डर प्रॉब्लम क्रिएट नहीं की। हमें उनका आभारी होना चाहिए। हमने न्यूज में देखा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल (जहां फिल्म प्रदर्शित हो रही थी) गए थे और उन्होंने वहां जाकर लोगों को सिर्फ हॉल बंद करने के लिए मजबूर किया, वे कुछ और भी कर सकते थे। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका इस बारे में है, जिस तरह से ये फिल्म बनाई गई है। कुछ धर्मग्रंथ हैं, जो पूजनीय हैं। कई लोग घर से निकलने से पहले रामचरित मानस पढ़ते हैं।

इससे पहले सोमवार को वकील कुलदीप तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माता-निर्देशक को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था- रामायण-कुरान, गुरु ग्रन्थ साहिब और गीता जैसे पवित्र ग्रंथों को तो बख्श दीजिए। बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं।

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