‘जानबूझकर सड़कें रोक रही हैं महिला एक्टिविस्ट्स’, मणिपुर हिंसा पर सेना का बयान

इम्फाल। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच इंडियन आर्मी की तरफ से बड़ा बयान आया है। भारतीय सेना ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा कि मणिपुर में महिला एक्टिविस्ट्स जानबूझकर सड़कों को रोक कर रही हैं और सुरक्षा बलों के ऑपरेशंस में इंटरफेयर कर रही हैं। सेना द्वारा शेयर किए गए वीडियो में ऐस कई मामले दिखाए गए हैं, जहां महिलाएं आर्मी ऑपरेशन के दौरान इंटरफेयर कर रही हैं।

स्पीयरकॉर्प्स इंडियन आर्मी ने सोमवार देर रात ट्वीट करके जानकारी दी कि मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं। सुरक्षा बलों के संचालन में हस्तक्षेप कर रही हैं। इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए गंभीर परिस्थितियों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा समय पर की जाने वाली प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक है। इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। भारतीय सेना ने सभी वर्गों से राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में सेना के प्रयासों का समर्थन करने की अपील की है। सेना ने कहा, आप हमारी मदद कीजिए, मणिपुर की मदद होगी।

आपको बता दें कि हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया था, जब महिलाओं का एक बड़ा समूह आर्मी ऑपरेशन के दौरान सड़क पर आ गया था। तब सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के 12 उग्रवादियों को “रिहा” करना पड़ा था। इन लोगों में स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा भी शामिल था। यह साल 2015 में 6 डोगरा (6 Dogra) पर हुए हमले का मास्टरमाइंड है। इस हमले में सेना के 18 जवान शहीद हुए थे।

मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत
पूर्वोत्तर राज्य में मैती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुईं। मणिपुर की आबादी में मैती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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