नई दिल्ली। देश का पहला मानव अंतरिक्ष अबॉर्ट मिशन इस साल अगस्त में लॉन्च किया जाएगा। इसका पहला मिशन मानव रहित होगा। दूसरे मिशन में एक रोबोट को भेजा जाएगा और आखिरी यानी तीसरे मिशन में अंतरिक्ष में तीन एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा। अगर हमारा यह मिशन कामयाब हुआ तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाले देशों में अपना नाम दर्ज कराते हुए इतिहास रच देगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के मौके पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि टेस्ट व्हीकल श्रीहरिकोटा में तैयार है और क्रू मॉड्यूल व क्रू एस्केप सिस्टम का असेंबली कार्य भी शुरू हो गया है। सोमनाथ ने कहा, “गगनयान के लिए, सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात अबॉर्ट मिशन को पूरा करना है। उसके लिए, हमने एक नया रॉकेट बनाया है जिसे टेस्ट व्हीकल कहा जाता है, जो श्रीहरिकोटा में तैयार है। क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को असेंबल होना अभी बाकी है और तैयार किए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि इस महीने के अंत में यह पूरी तरह काम करने लगेगा। इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगस्त के अंत में या उसके आसपास हम इस क्रू अबॉर्ट मिशन को लॉन्च करने में सक्षम होंगे। इसके बाद (मिशन को) निरस्त करने की विभिन्न स्थितियों के साथ मिशन को दोहराया जाएगा। इस वर्ष के लिए यह योजना बनाई गई है।” इसरो ने चार टेस्ट अबॉर्ट लेवल बनाए हैं, ताकि अगर कुछ भी गलत हो तो क्रू मिशन को अबॉर्ट कर सके।
उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में “कक्षा में मानव रहित मिशन” अगले साल की शुरुआत में लॉन्च होगा। सोमनाथ ने कहा, “अगले वर्ष की शुरुआत में, हम कक्षा में मानवरहित मिशन भेजेंगे और वहां से इसे सुरक्षित वापस लाना है, जो तीसरा मिशन होगा। फिलहाल हमने ये तीन मिशन शेड्यूल किए हैं। इस मिशन के दौरान आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि गगनयान प्रोजेक्ट में क्रू मेंबर्स के सदस्यों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा, “चूंकि इंसान इस मिशन का हिस्सा होंगे, इसलिए क्रू मेंबर्स की सुरक्षा सर्वोपरि हो जाती है। इसके लिए, हम दो और अतिरिक्त चीजें कर रहे हैं, जिसमें एक को क्रू एस्केप सिस्टम कहा जाता है। इसका मतलब है कि यदि रॉकेट में कोई आकस्मिक स्थिति बनती है, तो सिस्टम सक्रिय हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “दूसरा इंटीग्रेटेड व्हीकल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम है।”
सोमनाथ ने कहा कि ‘क्रू एस्केप’ एक पारंपरिक इंजीनियरिंग समाधान है, जिसमें कंप्यूटर (गड़बड़ी का) पता लगाता है और प्रोपल्शन सिस्टम को प्रक्षेपण के लिए कहता है ताकि आप (चालक दल) दूर चले जाएं। उन्होंने कहा कि दूसरी प्रणाली अधिक बुद्धिमान है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सूविज्ञ निर्णय लेती है। उन्होंने कहा, “आपको ऐसी प्रणालियों को विकसित करने के साथ-साथ परीक्षण करने की भी आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बिना किसी संदेह के काम करेंगी। इसलिए गगनयान कार्यक्रम में, हम यह जाने बिना अंतिम मिशन में नहीं जाएंगे कि हम इसके लिए कितने तैयार हैं।” भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष सोमनाथ परम विक्रम-1000, एक उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) सुविधा या एक सुपर कंप्यूटर का उद्घाटन करने के लिए पीआरएल में थे।
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