नई दिल्ली। देश की राजधानी में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदल दिया गया है। अब इसे प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से जाना जाएगा। सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है और कहा कि यह फैसला घटिया और निराश करने वाला है।
गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई थी, जिसमें नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के फैसले पर मुहर लग गई। राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं। वहीं प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। इनके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर समेत 29 सदस्य इस सोसाइटी में शामिल हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा, ‘नाम में बदलाव करना संकीर्णता और बदले की राजनीति का नतीजा है। बीते 59 सालों से नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी वैश्विक बौद्धिकता का अहम स्थान और किताबों का खजाना रहा है।’ जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के वास्तुकार के नाम और विरासत को विकृत, तिरस्कृत और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। यही नहीं उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वह असुरक्षा के बोझ से दबे हैं। इससे पहले तीन मूर्ति मेमोरियल का भी नाम बदला गया था और उसे प्रधानमंत्री संग्रहालय के तौर पर विकसित किया गया था। यह फैसला 2016 में लिया गया था और अब फिर से बड़े बदलाव की तैयारी है। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।
कांग्रेस के अलावा सीपीआई के डी. राजा ने भी सरकार पर बरसते हुए कहा कि यही तो आरएसएस का एजेंडा है, जो देश का इतिहास बदलना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग जानते हैं कि आरएसएस का देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह उनकी ओर से कोशिश है कि देश का नया इतिहास लिखा जाए और अपना अलग ही नैरेटिव गढ़ा जाए। आधुनिक भारत के निर्माण में आरएसएस का कोई योगदान नहीं था। नेहरू देश के पहले पीएम थे और उन्होंने योजना आयोग बनाने से लेकर राष्ट्रीय संस्थाओं के विकास तक में योगदान दिया था।’
क्या है पीएम मेमोरियल का इतिहास
एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। साल 1948 में जब पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो तीन मूर्ति भवन उनका आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा।
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