नई दिल्ली। विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने केंद्र सरकार से सहमति से सेक्स बनाने के विषय पर न्यूनतम उम्र सीमा पर सुझाव मांगा है। अभी यह सीमा 18 साल है। लॉ कमीशन ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से उनकी राय मांगी है। विधि आयोग ने कर्नाटक हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की उन टिप्पणियों का भी हवाला दिया है, जिनमें इन अदालतों ने इस विषय पर विचार करने का सुझाव दिया था।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ 22वें विधि आयोग ने शुक्रवार को बैठक आयोजित की। आयोग ने सहमति की उम्र में बदलाव करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों से जानकारी मांगी है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी ने बैठक की अध्यक्षता की। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वे लॉ कमिशन को जल्द ही जवाब भेजा जाएगा। अभी मामले का अध्ययन किया जा रहा है।
31 मई को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भेजे खत में लॉ कमिशन ने कहा है कि उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट से ये रेफरेंस मिला है कि उनके सामने 16 वर्ष से ऊपर की कई लड़कियों के प्रेम संबंधों के मामले सामने आए हैं। ये लड़कियां अपने प्रेमियों के साथ घर से भाग गई हैं और उन्होंने शारीरिक संबंध भी बनाए हैं। हाई कोर्ट की राय है कि जमीनी हकीकत के मद्देनजर लॉ कमिशन को ‘सहमति से सेक्स की न्यूनतम उम्र’ पर पुनर्विचार करना चाहिए।
इसी तरह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी लॉ कमिशन से पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव के लिए संसद को सुझाव देने पर विचार करने की गुजारिश की है। हाई कोर्ट से आई इन गुजारिशों के बाद लॉ कमिशन ने नाबालिगों से जुड़े कानूनी प्रावधानों की समीक्षा शुरू की है। पिछले साल दिसंबर में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भी पॉक्सो ऐक्ट पर हुई एक चर्चा के दौरान कहा था कि इस मुद्दे पर चिंता बढ़ रही है और विधायिका को इस पर विचार करने की जरूरत है।
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