अहमदाबाद। गुजरात के बेस्ट बेकरी कांड के दो आरोपियों को कोर्ट ने मंगलवार को बरी कर दिया। 21 साल पुराने मामले में हर्षद रावजी भाई सोलंकी और माफत मणिलाल गोहिल को मामले में दोषमुक्त कर दिया है। इस आगजनी में बेकरी के अंदर रहने वाले करीब 14 लोगों की मौत हो गई थी।
वडोदरा स्थित बेस्ट बेकरी पर हमला 27 फरवरी 2002 के गोधरा कांड का नतीजा था। गोधरा कांड के तहत गुस्साई मुस्लिम भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी पर आग लगा दी थी। इस एक्सप्रेस से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इस नरसंहार में 56 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, 46 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 3 मार्च 2002 को लगभग 1,000 लोगों की एक बड़ी भीड़ ने वड़ोदरा में बेस्ट बेकरी पर हमला किया। दुकान के मालिक हबीबुल्ला शेख के मालिक थे, जिनका परिवार उसी परिसर में रहता था। भीड़ ने बेकरी का सामान, कच्चा माल लूट लिया और कच्चे पेट्रोल बम फेंककर बेकरी में आग लगा दी। इस नरसंहार में महिलाओं और बच्चों सहित 14 लोगों की मौत हो गई थी।
इस मामले में 21 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था हालांकि, सबूतों के अभाव में वडोदरा की अदालत ने 2003 में सभी को बरी कर दिया था। इसके बाद 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था। 24 फरवरी 2006 को मुंबई की कोर्ट ने 9 आरोपियों को दोषी करार दिया, इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई जबकि, बाकी 8 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया। उस समय तक मामले के चार आरोपी फरार चल रहे थे, जिन्हें 2013 में पकड़ा गया। निचली अदालत के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
जुलाई 2012 में हाई कोर्ट ने नौ में से चार दोषियों- संजय ठक्कर, बहादुर सिंह चौहान, सना भाई बारिया और दिनेश राजभर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा जबकि, बाकी पांच- राजू बारिया, पंकज गोसावी, जगदीश राजपूत, सुरेश उर्फ लालू और शैलेष टाडवी को बरी कर दिया। इस मामले में फरार चल रहे चार आरोपियों को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। ट्रायल के दौरान चार में से दो आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाकी दो आरोपी- हर्षद रावजी भाई सोलंकी और मफत मणिलाल गोहिल 10 साल से जेल में हैं। इनका मामला मुंबई की स्पेशल कोर्ट में चल रहा था, अब उन्हें भी बरी कर दिया गया है।
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