नई दिल्ली। ट्विटर के संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक साक्षात्कार में दावा किया है कि भारत में किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने उन्हें ट्विटर को बंद कर देने की धमकी दी थी। हालांकि केंद्र सरकार ने जैक डोर्सी के आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है।
एक यूट्यूब चैनल ‘ब्रेकिंग पॉइंट्स’ ने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी का इंटरव्यू किया। इस दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए। इन्हीं सवालों में एक सवाल ये था कि क्या कभी किसी सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई? इसके जवाब में डोर्सी ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ और डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया। डोर्सी ने कहा कि भारत उन देशों में से एक है, जब उनके पास किसान आंदोलन के दौरान कई अनुरोध आए थे, यह धमकी भी दी गई कि अगर सरकार की आलोचना करने वाले ट्विटर खातों को बैन नहीं किया गया तो वे ‘भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे’ … ‘हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारेंगे अगर आप इनका पालन नहीं करते हैं तो हम आपके कार्यालय बंद कर देंगे डोर्सी ने कहा कि यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ’।
डोर्सी ने इसी तरह तुर्किए का भी उदाहरण दिया और बताया कि वहां भी सरकार की तरफ से ट्विटर को उनके देश में बंद करने की धमकी दी गई थी। डोर्सी ने कहा कि तुर्किए में उनकी कंपनी ने सरकार के खिलाफ कई मुकदमे लड़े और जीते भी।
सरकार ने आरोपों को बताया झूठ
जैक डोर्सी के आरोपों पर केंद्र सरकार का बयान भी आ गया है। केंद्र सरकार के आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए जैक डोर्सी के आरोपों को झूठ बताया। उन्होंने कहा कि जैक डोर्सी के नेतृत्व में ट्विटर और उनकी टीम लगातार भारतीय नियमों का उल्लंघन कर रही थी। तथ्य ये है कि साल 2020 से 2022 के बीच उन्होंने लगातार भारत के क़ानूनों का पालन नहीं किया। ट्विटर ने अंततः जून 2022 में क़ानूनों का पालन किया।
उन्होंने कहा कि ना ही कोई जेल गया था और ना ही ट्विटर बंद हुआ था। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ट्विटर ने ऐसा व्यवहार किया जैसे भारत के क़ानून उस पर लागू ही नहीं होते हैं। भारत एक सार्वभौमिक राष्ट्र है और उसे अधिकार है कि ये सुनिश्चित करे कि भारत में काम कर रही सभी कंपनियां भारतीय क़ानूनों का पालन करें।” किसान आंदोलन के समय का हवाला देते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “जनवरी 2021 के प्रदर्शनों के दौरान, बहुत सी भ्रामक जानकारियां थीं और यहां तक की नरसंहार तक की रिपोर्टें आ रहीं थीं जो बिलकुल फ़र्ज़ी थीं। भारत सरकार प्लेटफार्म से ऐसी जानकारियां हटवाने के लिए बाध्य थी क्योंकि ऐसी फर्जी ख़बरें हालात को और गंभीर बना सकती थीं।”
राजीव चंद्रशेखर ने ट्विटर पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए अमेरिका में हुए घटनाक्रम का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “जैक के समय में ट्विटर का भेदभावपूर्ण रवैया इस स्तर का था कि उन्हें भारत में तो भ्रामक जानकारियां हटाने से दिक्कत थी लेकिन जब ऐसा ही घटनाक्रम अमेरिका में हुआ तो उन्होंने स्वयं ही ऐसा किया था।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत में किसी पर भी रेड नहीं डाली गई थी और ना ही किसी को जेल भेजा गया था। हमारा मकडसद सिर्फ़ भारतीय क़ानूनों का पालन सुनिश्चित कराना था।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुआ था जबरदस्त विरोध प्रदर्शन
बता दें कि 25 नवंबर 2020 को तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन शुरु हुआ था। किसान संगठनों का कहना था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी। जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
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