मेरठ। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा, उन पर अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले में फैसला टालने का भारी दबाव था। उन्होंने कहा, लोग चाहते थे कि मैं फैसले को टाल दूं। कोई यह फैसला नहीं करना चाहता था। मैं नहीं करता, तो 200 साल तक टलता रहता।
मेरठ कॉलेज में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए जस्टिस अग्रवाल ने कहा, फैसला सुनाते समय मुझ पर कोई तनाव नहीं था। हां, जब पकड़े गए कुछ लोगों ने बताया कि फैसला सुनाने वाले जजों को मारना है, तब परिवार जरूर तनाव में आ गया था। उन्होंने बताया, दबावाें का विवरण मैंने अपनी जीवनी में दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने दो साल लगातार 18 से 20 घंटे काम किया। पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल अयोध्या मामले पर दिए फैसले को याद करते हुए कहते हैं कि तारीख पर तारीख मिलने से लोग निराश होते हैं। इसलिए उनका मानना था कि मुकदमों का तय होना ज़रुरी है।
उन्होंने कहा, जब अयोध्या मामले की पीठ में मेरा नाम डालने की बात हुई चीफ जस्टिस ने पूछा, ब्रदर हम इस पीठ में आपको डालना चाहते हैं, आपको कोई आपत्ति है? मैंने कहा, आप मुझे नियुक्त करें, लेकिन यदि मैं नियुक्त हुआ तो मुकदमे का फैसला करूंगा।
इसी फैसले से मेरी पहचान
जस्टिस अग्रवाल ने कहा, मैं गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत व पूर्वोत्तर गया, सब जगह श्रीरामजन्मभूमि के फैसले के कारण मेरी पहचान है। पहली बार चेन्नई गया तो वहां लोगों ने फोटो खींचे, पैर छुए। इससे समझ में आता है कि श्रीराम हमारे जीवन में कितने गहरे समाए हैं।
बता दें हाल ही में जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अयोध्या पहुंचकर श्रीरामलला के दरबार में मत्था टेक कर पूजा अर्चना की थी। उन्होंने राममंदिर निर्माण के चल रहे कार्यों को भी देखा। राम मंदिर परिसर पहुंचने पर जस्टिस अग्रवाल का स्वागत मंदिर मॉडल व अंगवस्त्र भेंटकर किया गया। अयोध्या प्रकरण से जुड़े विवाद में वर्ष 2010 में हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने जो फैसला सुनाया था, जस्टिस अग्रवाल उसमें शामिल थे।