दिल्ली। आजकल ईयरफोन-हेडफोन या ईयर बड्स का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है कि 10 में से 9 लोग आपको कान में लगाकर घूमते मिलेंगे। दिल्ली एनसीआर में खासतौर पर मेट्रो में लंबा सफर करने वाले लोग घंटों इन्हीं के सहारे सफर करते हैं। इतना ही नहीं रास्ता चलते, ऑफिस में, जिम में, पार्क में यहां तक कि घरों में भी लोग इन्हें कानों में लगाकर कुछ सुनते हैं या फिर बात करते रहते हैं और दूसरा काम भी करते रहते हैं। इसी तरह की आदतें युवक पर भारी पड़ी। कानों में इन्फेक्शन हुआ और सुनने की क्षमता भी कम हो गई। जब तक उन्हें बात समझ में आई, बहुत देर हो चुकी थी। उनके सुनने की क्षमता 60 पर्सेंट तक कम हो गई।
प्राइमस हॉस्पिटल के ईएनटी एक्सपर्ट डॉ. अंकुश सयाल ने कहा कि 18 साल का एक युवक रोजाना 8 से 10 घंटे ईयरफोन पर गाने सुनता था। वह अपने दोस्तों के साथ भी अपना ईयरफोन शेयर करता था। इसकी वजह से कानों में संक्रमण हो गया। जब वह ईयरफोन लगाता था तो कान बंद हो जाते हैं। इससे कानों अंदर बैक्टीरिया को बढ़ने में और मदद मिलती है। शुरू में केवल कान में दर्द होता था, लेकिन बाद में कान से डिस्चार्ज होने लगा। यूपी के गोरखपुर के रहने वाले मरीज ने इस दौरान स्थानीय अस्पताल में दो बार सर्जरी भी कराई, लेकिन फायदा नहीं हुआ।
डॉ. अंकुश सयाल ने कहा कि कान से निकलने वाले डिस्चार्ज को पहले रोका गया। इसके लिए रिपोर्ट के आधार पर उसे एंटीबायोटिक दी गई। फिर सिटी स्कैन किया गया। पता चला कि पिछली सर्जरी से कान में कुछ अवशेष रह गया था। डॉक्टर ने मास्टॉयडेक्टोमी के जरिए कान साफ किया। सुनने की क्षमता को बहाल करने के लिए जर्मनी में बना टाइटेनियम इंप्लांट लगाया। तब सुनने की क्षमता वापस आई। पूरे इलाज में लगभग डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया।
डॉक्टर ने कहा कि हमारे पास अक्सर युवा लोग ऐसी समस्या से पीड़ित होने पर आते हैं, क्योंकि ये लोग दिनभर ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं। वे इस बात से अनजान होते हैं कि लगातार लंबे समय तक ईयरफोन का उपयोग कितना घातक साबित हो सकता है। यह केस पूरी तरह से गैजेट्स पर हमारी बढ़ती निर्भरता और उनके बेपरवाह उपयोग के साइड इफेक्ट को दर्शाता है। इससे गंभीर नुकसान होता है।
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