नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों नई संसद का उद्घाटन किया। इस दौरान, कांग्रेस समेत 19 से ज्यादा विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया। वहीं नए संसद भवन पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन सरकार के भोंपू ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में नए संसद भवन की इमारत के उद्घाटन का ज़िक्र करते हुए विऔपनिवेशीकरण (Decolonization) के समर्थन की बात की है। पूर्व में दूसरे राष्ट्रों द्वार गुलामी में रहे देश जब राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो जाते हैं या इसकी कोशिश में होते तो इसे हम विऔपनिवेशीकरण (Decolonization) कहते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने क्या लिखा है?
ग्लोबल टाइम्स की Editorial की Headline ‘हम नैतिक रूप से, भावनात्मक रूप से भारत के विऔपनिवेशीकरण का समर्थन करते हैं’ में लिखा गया है, ‘नई इमारत को मोदी प्रशासन की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की मुख्य परियोजना माना जाता है, जिसका उद्देश्य भारतीय राजधानी को औपनिवेशिक युग के निशान से मुक्त करना है। अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि “नई संसद सिर्फ एक इमारत नहीं है बल्कि यह एक आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का गवाह बनेगी”। इस इमारत की कीमत लगभग $120 मिलियन है और इसमें मोर, कमल का फूल और बरगद के पेड़ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक शामिल हैं, जो भारत के पारंपरिक इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं। यह भारत सरकार के विऔपनिवेशीकरण (Decolonization) की ओर बढ़ते हुए कदम हैं।
मोदी सरकार ने मिटाए हैं गुलामी के निशान
संपादकीय में आगे लिखा गया है कि पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने खुद को एक उभरते हुए भारत की छवि के तौर पर पेश करने के लिए समर्पित किया है, जो स्वतंत्र आत्मविश्वास पर जोर देता है। भारत ने उपनिवेशवाद के प्रतीकों को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई भी की है, जिसमें प्रतिष्ठित इमारतों का नाम बदलना और उन्हें फिर से तैयार करना शामिल है, मोदी सरकार ने औपनिवेशिक इतिहास से जुड़ी बजट प्रथाओं को बदला है, साथ ही अंग्रेजी के आधिकारिक उपयोग को कम कर हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाने के प्रयास भी किए हैं। चीन स्पष्ट रूप से भारत की राष्ट्रीय गरिमा को बनाए रखने ऐसे कदमों में भारत का समर्थन करता है।
‘इमारतों के नाम बदले गए, बजट प्रथाओं को भी बदला’
केंद्र सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों में लिए गए फैसलों के बारे में ग्लोबल टाइम्स ने प्रशंसा की है। उसने कहा है कि हाल के वर्षों में, मोदी सरकार ने भारत की छवि उभरते हुए देश के रूप में पेश की है, जोकि स्वतंत्र आत्मविश्वास पर जोर देता है। भारत ने उपनिवेशवाद के प्रतीकों को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर ऐक्शन लिया है, जिसमें प्रतिष्ठित इमारतों का नाम बदलना और फिर से तैयार करना, औपनिवेशिक इतिहास से जुड़ी बजट प्रथाओं को बदलना, अंग्रेजी के आधिकारिक उपयोग को कम करना और हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाना शामिल है। आखिर में यह भी लिखा गया है कि चीनी समाज में कम ही लोग मानते हैं कि भारत का आर्थिक और सामाजिक विकास चीन के लिए खतरा बनेगा। अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि दोनों देश पारस्परिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। स्पष्टता और आत्मविश्वास प्रमुख तौर पर संकेत दे रहा है कि भारत वास्तव में उपनिवेशवाद की छाया से उभरा है।
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